बिल्डिंग कोड्स का सख्ती से हो पालन, वनाग्नि को लेकर अभी से तैनात होंगे फायर वाचर्स।

राज्य में ग्रीष्मकाल के दौरान संभावित वनाग्नि की घटनाओं पर रोकथाम को लेकर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आपदा प्रबन्धन विभाग को फायर वाचर्स को प्रशिक्षित कर वनाग्नि संभावना से पहले ही तैनात करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने वनाग्नि नियंत्रण में सामुदायिक सहभागिता को बढ़ाने के लिए अभी से प्रयास करने के निर्देश दिए हैं। सीएस ने विभिन्न योजनाओं के तहत चीड़ के पत्तों (पिरूल) के निस्तारण को अभी से सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं ताकि पिरूल के कारण संभावित वनाग्नि की घटनाओं पर पूर्णतः नियंत्रण हो सके।

उन्होंने वनाग्नि की संभावित घटनाओं के दृष्टिगत आपदा मित्रों को संवेदनशील स्थानों पर तैनात करने तथा आपदा प्रबन्धन विभाग, रेखीय विभागों तथा सम्बन्धित एजेंसियों की वनाग्नि नियंत्रण पर राज्य स्तरीय माॅक अभ्यास आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। आपदा प्रबन्ध विभाग द्वारा राज्य स्तरीय माॅक अभ्यास के तहत 11 फरवरी को टेबल टाॅप एक्सरसाइज एवं 13 फरवरी को माॅक अभ्यास को आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही श्रीमती राधा रतूड़ी ने राज्य में भूकम्परोधी पहल से सम्बन्धित सभी सरकारी निर्माण एजेंसियों को निर्माण संहिता (बिल्डिंग कोड्स) को मजबूत करने तथा उनका सख्ती से पालन के निर्देश दिए हैं।

सीएस ने बिल्डिंग कोड्स की निरन्तर समीक्षा तथा अपडेट करने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने निर्माणधीन भवनों में भूकम्प प्रतिरोधक और जलवायु अनूकल डिजाइन मानकों सख्ती से लागू करवाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने सरकारी निर्माण एजेंसियों को इस सम्बन्ध में नियमित निरीक्षण एवं प्रवर्तन से अनुपालन को बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं। रतूड़ी ने ईईडब्लयूएस ( भूकम्प पूर्व चेतावनी प्रणाली) के प्रभावी ढंग से लागू करने के भी निर्देश दिए हैं।

सचिवालय में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आपदा प्रबन्धन विभाग, राज्य एवं केन्द्रीय एजेंसियों तथा सभी जिलाधिकारियों के साथ राज्य में वनाग्नि तथा भूकम्प से सम्बन्धित मोक ड्रिल की तैयारियों की समीक्षा की। सीएस राधा रतूड़ी ने वनाग्नि को लेकर आयोजित किए जाने वाले माॅक ड्रिल के दौरान राज्य एवं जिला स्तरीय आईआरएस तंत्र के धरातल पर प्रभावी क्रियान्वयन के साथ ही सभी स्टेकहोल्डर्स के मध्य प्रभावी समन्वय एवं सामंजस्य, सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित एवं क्रियान्वयन में समावेशित करने तथा माॅक अभ्यास के धरातलीय अनुभवों के आधार पर भविष्य के लिए समन्वित व्यवहारिक कार्ययोजना तैयार करने की हिदायत दी है। माॅक अभ्यास के लिए मुख्य सचिव के निर्देश पर नैनीताल, अल्मोड़ा, चम्पावत, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी तथा पौड़ी में 17 स्थानों को चयनित किया गया है।

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