राज्य सरकार आपदा प्रबंधन में पूरी तरह से फैल होती दिखाई दी है।
कांग्रेस ने उधमसिंह नगर और नैनीताल में आपदा की स्थिति देखने के बाद राज्य सरकार को 5 दिन का वक्त दिया था। अगर 5 दिन में स्थिति नही सुधरती है तो उसके खिलाफ आंदोलन जैसे कदम उठाने पड़ेंगे।
लेकिन इन 5 दिनों में अभी स्थिति में सुधार लाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया।
भाजपा के कार्यकर्ता है ही एक ऐसा वीडियो भेजा है।
एक केंद्रीय मंत्री के बेतालघाट में उनके की कार्यकर्ता सवाल खड़े कर रहे हैं।
आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पांचवें दिन भी सहायता नहीं पहुचाई गयी।
भाजपा ने कांग्रेस की उपस्थिति का भी कोई महत्व नहीं समझा।
2013 में आयी केदारनाथ में आपदा के प्रबंधन और बचाव के लिए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री हटा दिए थे।
जब आधी रात को लोगों के घरों में पानी भरा तो लोग घर छोड़कर भागने लगे। जिसकी मुख्य वजह रही कि उन तक आपदा की सूचनाएं नहीं पहुंच रही थी।
गली मोहल्लों में सड़ रही कूड़ा करकट और मारे हुए जानवरों को हटाने के लिए उन्होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
सफाई कर्मी ही नहीं पानी के टैंकर पानी तक नहीं पहुंच रहे हैं जिससे ग्रामीणों को पेयजल की काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि राज्य सरकार आपदा प्रबंधन और बचाव कार्यों में पूरी तरह से फेल हो गई है।
आपदा प्रबंधन तंत्र 6 दिन में भी दबी हई लाशों को नही निकाल पाया।
केंद्रीय दल आ गया है लेकिन सरकारी तंत्र का कोई सहयोग नहीं मिल रहा।
इस पूरी आपदा में और आपदा प्रबंधन में राज्य सरकार पूरी तरह से गायब थी।
साल 2013 में जब आपदा आई थी तो उस दौरान राज्य सरकार ने मानक बदले गए थे और केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार से सुझाव मांगे थे।
क्षतिग्रस्त भवनों के लिए मुआबजा राशि के मानक तय किये थे।
सरकारी और गैर-सरकारी के अंतर को समाप्त किया गया था।
अगर किसी का नुकसान मानक में नहीं आ पा रही है लेकिन यदि क्षति हुई है तो उसके प्रतिपूर्ति सरकार करे।
मानव क्षति में राज्य सरकार दे 10 लाख की सहायता राशि।
राज्य सरकार, किसान के रकवे के आधार पर दे क्षतिपूर्ति।
ये क्षतिपूर्ति, राज्य सरकार किसानों को शीघ्र दे।
कांग्रेस को उम्मीद है कि अमित शाह, 1000 करोड़ रूपया एडवांस में देकर जाएगे।
अमित शाह ने एडवांस में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तारीफ कर चले गए।
लोगों को सहायता की तत्काल जरूरत है सरकार तत्काल सहायता राशि पहुचाये।
कांग्रेस, भविष्य के एजेंडे में आपदा के मानकों में बदलाव को शामिल करेंगी।
इस आपदा से आधा राज्य प्रभावित हुआ है।
राज्य सरकार घसियारी योजना ल रही है लेकिन उन्हें चिंता नही है कि प्रदेश में घास है कि नही।
जिनको भी भाजपा सरकार ने दायित्व सौंपा है उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया।