आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित उत्तराखंड के छत्तीश मठों में से एक प्रमुख मठ मैठाणा श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में आज शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं अयोध्या राममंदिर के मुख्य ट्रस्टियों में से एक स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने लक्ष्मी एवं नारायण जी के दर्शन किए। ग्रामीणों ने शकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती का गांव पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया। महाराज द्वारा मंदिर दर्शनों के पश्चात भक्तों ने शंकराचार्य महाराज का पूजन दर्शन किये।
शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा मैठाणा गांव की अपनी विशेष धार्मिक पहचान है। उन्होंने कहा कि इस स्थान पर आदि गुरु भगवान शंकराचार्य ने विश्राम किया और लक्ष्मी नारायण मंदिरों की रचना की। उन्होंने कहा कि इस स्थान से उन्हें विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है, इसीलिए वह जब कभी भी भगवान बदरीनाथके दर्शनों को आते जाते हैं तो इस स्थान पर भी वह पूजा अर्चना व दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।
शंकराचार्य महाराज ने मंदिर के रख रखाव हेतु मैठाणा लक्ष्मी नारारायण मंदिर समिति का भी गठन किया जिसमें सुरेंद्र प्रसाद मैठाणी, विनोद शास्त्री मिश्रा, शिव प्रसाद डिमरी, चंद्रमौलेश्वर सती, विमल मैठाणी आदि को शामिल किया गया है। मंदिर समिति में शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती संरक्षक व समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी संस्थापक की भूमिका में रहेंगे।
शंकराचार्य ने कहा कि नवसृजित मंदिर समिति द्वारा इस पहले वर्ष में सड़क मार्ग से भव्य गेट, व मंदिर तक दर्जनभर सीढ़ियों का पहुँचमार्ग के अलावा मंदिर परिसर में पूर्व में भूकम्प से क्षतिग्रस्त सत्संग मण्डप व हॉल का निर्माण करना होगा। जिसके लिए मंदिर समिति उनकी ओर से पर्याप्त आर्थिक मदद की जाएगी।