उत्तराखंड राज्य में कोविड-19 की स्थिति पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि एक आक्सीजन सपोर्टेड बेड में 10 लीटर प्रति मिनट दर से और आईसीयू बेड के लिए 24 लीटर प्रति मिनट की दर से आॅक्सीजन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार इन बेड्स के लिए राज्य सरकार को 165.18 मीट्रिक टन आक्सीजन की आवश्यकता होगी। भारत सरकार ने 183 मीट्रिक टन उत्तराखंड को अलोकेट किया है। अभी जो बेड उपयोग में आ रहे हैं, उनके लिए 130 मीट्रिक टन आक्सीजन की जरूरत है और हमें प्रतिदिन 126 मीट्रिक टन आक्सीजन प्रतिदिन उपलब्ध होती है।
हाॅस्पिटल्स में जो प्लांट लगे हैं, उनसे 5 मीट्रिक टन आक्सीजन उपलब्ध हो रही है। अस्पतालों में और भी प्लांट लग रहे हैं, जिनसे 4 मीट्रिक टन आक्सीजन उपलब्ध हो जाएगी। उन्होंने जनता से अपील की कि जब भी लक्षण दिखना शुरू हो, तत्काल उपचार करवाएं तो कोविड के मामलों और मौत के आंकड़ों में कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को आईसीयू की जरूरत नहीं है, और वे इसका उपयोग कर रहे हैं, उनकी निगरानी के लिए एक समिति गठित की गई है, जो हाॅस्पिटल्स की निगरानी करेगी।
वैक्सीन को लेकर उन्होंने बताय कि राज्य को 1 लाख वैक्सीनेशन प्रतिदिन के हिसाब से आवश्यकता है। जिसे देखते हुए भारत सरकार को लिखा है कि राज्य सरकार अगर बाहर से सीधे वैक्सीन आयात कर सकती है तो उसके लिए हमें अनुज्ञा दी जाए। बहुत जल्द हम मोबाइल टेस्टिंग वैन भी शुरू करेंगे, जो दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में जाकर मरीजों की पहचान करेगी और वहीं उनकी जांच करेगी, इससे उन्हें उपचार के लिए शहर आने की आवश्यकता नहीं होगी।
वही, सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि राज्य में मार्च 2020 में आक्सीजन सपोर्टेड बेड्स 673 थे जो कि वर्तमान में 5500 के अधिक हैं। इसी प्रकार राज्य में मार्च 2020 में आईसीयू 216 थे जो कि अब 1390 है, वेंटिलेटर्स मार्च 2020 में 116 से बढकर अब 876 हो गये हैं, आक्सीजन सिलेंडर्स मार्च 2020 में 1193 थै जो कि वर्तमान में 9900 हो गये हैं, आक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स मार्च 2020 में 275 थे अब 1293 हैं, एंबुलेंस 307 और 64 टूनाड मशीन हैं। वहीं मार्च 2020 में केवल एक टेस्टिंग लैब थी, वर्तमान मे 10 सरकारी लैब और 26 प्रायवेट लैब हैं।
साथ ही बताया कि राज्य सरकार द्वारा एक साल में लगातार स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाई गई हैं और और आगे भी इनमें वृद्धि करेंगे। उन्होंन बताया कि हल्द्वानी के सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल में 500 बेड का कोविड हाॅस्पिटल बन रहा है, जिसमें 100 बेड आईसीयू के होंगे। वहीं ऋषिकेश मे 500 बेड का कोविड अस्पताल बना रहे है। ऋषिकेश एम्स में 100 बेड का आईसीयू अस्पताल होगा। इसी प्रकार जाॅलीग्रांट में 200 से 300 बेड वैकल्पिक रूप से तैयार करेंगे। साथ ही जितने भी सरकारी अस्पताल हैं, उनमें भी आक्सीजन बेड करने की तैयारी है।
इसके साथ ही हाॅस्पिटल्स को निर्देश दिए हैं कि आॅक्सीजन बेड की उपलब्धता कि स्थिति को लगातार अपडेट करते रहें। पब्लिक को परेशानी न हो, इसके लिए अस्पतालों की वेबसाइट पर लिखे गए सभी पीआरओ के नंबर भी अपडेट किए जाने चाहिए। हमने एक टास्क फोर्स का भी गठन किया है, जिसमें डीएम, पुलिस, मेडिकल डिपार्टमेंट के स्पेशलिस्ट होंगे, जो सभी शिकायतों पर संज्ञान लेकर आगे कार्रवाई करेंगे। उन्होंने बताया कि रेमडिसिविर को क्लिनिकल प्रोटोकाॅल के अनुसार ही उपयोग किया जाएगा। प्रतिदिन 25 से 30 हजार लोगों की जांच की जा रही है और हम इसे बरकरार रखेंगे। हमारा प्रयास है कि आरटीपीसीआर के साथ ही रैपिड एंटीजन टेस्ट ज्यादा करे, जिससे लक्षण वाले लोगों को 15 मिनट में रिपोर्ट मिल सकेगी।
तो वही, सचिव पंकज पांडे ने बताया कि टेस्टिंग और रिजल्ट में अंतर आने को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि जो भी टेस्ट करवाएगा, उसे तुरंत दवाई दे देंगे, उसके लिए रिजल्ट का इंतजार नहीं करेंगे। यह व्यवस्था हर जनपद में लागू हो गई है और किट बंटना शुरू हो गई है। यह कार्य चरणबद्ध तरीके से चल रहा है। राज्य सरकार का प्रमुख लक्ष्य मौत के आंकड़ों को कम करना है। उन्होंने बताया कि रेमडिसिविर के भाव भारत सरकार ने तय किए हैं। जितने रूपए में सरकार को यह उपलब्ध हो रहा है, उतने ही रूपयों में निजी अस्पतालों को भी ट्रांसफर हो रहा है। हमने निजी अस्पतालों को भी निर्देश दिए हैं कि जनता को भी उतने ही रूपए में रेमडिसिविर उपलब्ध करवाए जाएं, जितने में हमने उन्हें दिया है।
इसके अतिरिक्त अमित सिन्हा ने बताया कि जब से अभियान शुरू हुआ है, अब तक 1150 सूचनाओं पर धरपकड़ की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि मिशन हौसला के अंतर्गत डीएम के साथ पुलिस सामंजस्य कर आॅक्सीजन और अन्य सुविधाएं जनता को उपलबध करवा रही है। उन्होंने बताया कि अब तक 22 एफआईआर हो चुकी है, जिसके तहत 33 आरोपी गिरफ्तार हुए हैं और 194 रिकवरी हुई है।