मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का धर्मांतरण कानून एक अनुकरणीय मॉडल, अब राजस्थान सहित अन्य राज्य कर रहे गहराई से अध्ययन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का धर्मांतरण कानून एक अनुकरणीय मॉडल,अब राजस्थान सहित अन्य राज्य कर रहे गहराई से अध्ययन

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में, उत्तराखंड सरकार ने Uttarakhand Freedom of Religion (Amendment) Bill, 2025 को मंजूरी दी है। इस संशोधन से धर्मांतरण को लेकर कानून और भी कड़ा हो गया है जिसमें ज़बरदस्ती, प्रलोभन, धोखा जैसी विधि-विशेषताओं को शामिल किया गया है। इस अधिनियम के तहत आजन्म जातीय धर्म में पुन लौटने (घऱ वापसी) को धर्मांतरण नहीं माना गया। अपराध को ओर कठोर और व्यापक कर दिया गया है, जिसमें डिजिटल माध्यमों का उपयोग, प्रचार, और वैध उत्तराधिकारी को बचाने की व्यवस्था भी शामिल है। और दोषियों को आजीवन कारावास तक की सजा तथा 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है ।

 

मुख्यमंत्री धामी का दृष्टिकोण

सीएम धामी ने इस कानून को लोक जनादेश का प्रतिबिंब मानते हुए, इसे उत्तराखंड की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत की रक्षा से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि इन फैसलों में कोई हिंदुत्व प्रयोगशाला नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक जनादेश एवं राज्य की पहचान की सुरक्षा का हिस्सा है ।

 

राजस्थान में कौन सा मॉडल अपनाया जा रहा है?

राजस्थान सरकार ने इस दृष्टिकोण से प्रेरित हो कर, खुद का राजस्थान धर्मांतरण कानून 2025 हाल ही में विधानसभा सत्र में पेश किया है। इसमें उत्तराखंड के कानून की तरह अनेक सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं

जैसे गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध की श्रेणी

प्रलोभन, धोखा, विवाह, मजबूरी इत्यादि के लिए आपराधिक दायरा

असामान्य दंड: सामान्य अपराधों में 1–5 वर्ष,

माइनॉरिटी वर्ग (अल्पसंख्यक, महिला, वंचित जाति/जनजाति): 2–10 वर्ष

समूह में जबरन धर्मांतरण: 3 से 10 वर्ष, ₹50,000 तक जुर्माना

नई ड्राफ्ट 7–14 वर्ष, ₹5 लाख जुर्माना, और दोहराव वाले अपराधों पर आजीवन कारावास की संभावनाएं ।

नया मसौदा तो और भी सख्त है, जिसमें अल्पसंख्यक और महिला/अकुशल वर्ग पर होने वाले धर्मांतरण (जबरदस्ती या धोखा), रिपीट दोषियों के लिए आजीवन कारावास एवं ₹50 लाख तक का जुर्माना जैसी धाराएँ शामिल हैं ।

राजस्थान अब उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक आदि राज्यों की सूची में शामिल हो रहा है, जहाँ सख्त धर्मांतरण कानून बनाए जा रहे हैं ।

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री धामी का धर्मांतरण कानून एक अनुकरणीय मॉडल बन चुका है जिसकी प्राथमिकता है

सीएम चाहते थे झूठे धर्मांतरण को रोकना

संवैधानिक प्रक्रिया के अनुसार सजा देना
संस्कृति और भारतीय पहचान की रक्षा.न्यायिक त्वरित प्रक्रिया एवं दोषियों पर कड़ी कार्रवाई.राजस्थान ने इस विधिक दृष्टिकोण को अपनाया है और अन्य राज्य भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।जिससे स्पष्ट है कि यह नीति सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं रह गई, बल्कि यह पूरे देश में नीति निर्माण के रूप में उभर रही है।

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