उत्तराखण्ड के पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी की पुस्तक ‘‘खाकी में स्थितप्रज्ञ’’ का विमोचन किए जाने को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया। शनिवार को देहरादून स्थित आई.आर.डी.टी सभागार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीएम धामी ने पुस्तक का विमोचन किया। ‘‘खाकी में स्थितप्रज्ञ’’ पुस्तक के लेखक अनिल रतूड़ी ने पुलिस अधिकारी के रूप में साढ़े तीन दशक के अनुभव के आधार पर महत्वपूर्ण यादों, अनुभवों और चुनौतियों को समाहित किया है।
वही, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अनिल रतूड़ी ने इस पुस्तक के जरिए एक पुलिस अधिकारी के रूप में अपने सेवाकाल की यादों, अनुभवों और चुनौतियों को बेहतर तरीके से रखा है। साथ ही कहा कि सफलता और असफलता दोनों में एक समान रहना स्थितप्रज्ञ है। ये पुस्तक सेवा में आ रहे लोगों को निर्णय लेने में मदद करेगी। सीएम धामी ने कहा कि जब हमें एहसास होता है कि धरती पर कोई हमारा साथ देने वाला नहीं, तब हम धरातल से ऊपर उठकर सीधे प्रभु से संबंध वाली स्थिति में आते हैं, ये भी स्थितप्रज्ञ है। ऐसा प्रभु की कृपा से ही संभव है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनिल रतूड़ी ने एक सफल और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में कार्य किया है। रतूड़ी दंपति ने अपने कार्यों और व्यवहार से उत्तराखण्ड में ही नहीं बल्कि देश में अपना एक विशेष स्थान बनाया है। दोनों ने साधारण रहते हुए जनहित में असाधारण कार्य कर अपनी अलग पहचान बनाई है। अपने सेवाकाल के दौरान अनिल रतूड़ी ने कई बार कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर समस्याओं का समाधान किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य में कर्म करते हुए अपने मन को शांत रखते हुए लक्ष्य प्राप्त करने का गुण होना जरूरी है।
उत्तराखंड लोक और निजी संपत्ति क्षति वसूली (अध्यादेश) विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिलने पर सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य मेलमिलाप और प्रेम से रहने वाला राज्य है। यहां पर दंगा, आगजनी, उपद्रव और तोड़फोड़ का कोई स्थान नहीं है। पहले के समय में ऐसा हुआ है कि लोगो ने ऐसा प्रयास किया है साथ ही राज्य का माहौल खराब करने का प्रयास किया। भविष्य में इस तरह की घटनाएं होना तो बहुत दूर की बात ऐसा करने की कोई सोचे भी न इसके लिए दंगारोधी कानून को विधेयक के रूप में मान्यता मिल गई है। ऐसे में सरकारी या निधि संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों से ही नुकसान की भरपाई वसूल की जाएगी। साथ ही कहा कि ये राज्य के लिए जरूरी था।