उत्तराखंड राज्य में बीते 24 घंटे में हुई भारी बारिश के चलते आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। प्रदेश की स्थिति जानने को लेकर जहा एक ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी टिहरी जिले बादल फटने की घटना से हुई नुकसान का स्थानीय निरीक्षण किया तो वही, आपदा विभाग से अधिकारियों से प्रदेश की स्थितियों का जायजा भी लिया। साथ ही सचिव आपदा प्रबंधन को निर्देश दिये कि जिलाधिकारियों से लगातार समन्वय बनाये रखें। भारी बारिश से प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द सहायता राशि उपलब्ध कराने के साथ ही फसलों और मवेशियों को हुए नुकसान का भी आंकलन किया जाए।
भारी बारिश के चलते राहत एवं बचाव कार्यों के लिए जिलाधिकारियों की ओर से किसी भी प्रकार की सहायता मांगी जाती है तो तत्काल सहायता प्रदान की जाए। सीएम ने बालगंगा एवं बूढ़ाकेदार क्षेत्र के प्रभावित गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया को भी जल्द से जल्द शुरू करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के दौरान राहत-बचाव कार्यों के लिए सभी जिलों को वर्तमान वित्तीय वर्ष में अभी तक करीब 315 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई जा चुकी है। लेकिन जरूरत पड़ने पर जिलों को और भी धनराशि उपलब्ध कराई जायेगी।
सीएम ने बैठक के दौरान जिलाधिकारी हरिद्वार, टिहरी, देहरादून, चमोली, नैनीताल, अल्मोड़ा और उत्तरकाशी से बारिश की स्थिति, जानमाल के नुकसान, जलभराव की स्थिति, सड़कों, पुलों, पेयजल और विद्युत की उपलब्धता की जानकारी ली। सीएम ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि अगले 24 घण्टे सभी अधिकारियों को अलर्ट मोड में रखें। साथ ही आपदा की दृष्टिगत संवेदनशील क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए और उनके रहने खाने की व्यवस्थाएं की जाए। सुरक्षित स्थानों पर लाये जा रहे बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती माताओं को रहने के साथ दवाईयों समेत अन्य जरूरी सामग्रियों की व्यवस्था रखी जाए।
प्रदेश ने सभी जिलाधिकारियों को सीएम ने निर्देश दिये हैं कि भारी बारिश के चलते सड़के बाधित होने की दिशा में उनको सुचारू करने में कम से कम समय लिया जाए। पुल टूटने पर बैली ब्रिज बनाकर जल्द से जल्द आवागमन को सुचारू किया जाए। साथ ही कहा कि लोगों को पेयजल और विद्युत की सूचारू आपूर्ति हो इस पर भी ध्यान दे। चारधाम यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर सभी व्यवस्थाएं रखे जाए। यात्रा मार्ग में भारी बारिश के चलते अगर कहीं पर मार्ग बाधित होता है या आगे कोई खतरा महसूस होता है तो यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोक लिया जाए।