उत्तराखंड में इन दिनों एक बड़ी आपदा के संकेत मिलने लगे हैं। दरअसल, यह आपदा वनाग्नि से जुड़ी है। जी हां, राज्य के जंगलों में जिस तरह से आग अपना पैर पसार रही है। उससे आने वाले दिनों में एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है। बहरहाल, मौजूदा स्थिति ये है कि बीते 24 घंटे में उत्तराखंड में 24 अलग-अलग क्षेत्रों में जंगलों में आग लगी थी, जिनमें 32.46 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर राख हो गए। तो वही, अभी तक इस सीजन हुए वन अग्नि की घटना में 332.82 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र प्रभावित हुई है।
आपको बता दें कि जंगलों में आग लगने की दो वजह मानी जाती है पहला प्राकृतिक और दूसरा इंसानों द्वारा लगाई गई आग। ज्यादातर घटनाओं के पीछे लोग ही वजह माने जाते हैं, लेकिन वन विभाग ने इतने सालों में ऐसी घटनाओं के लिए कितने मुकदमे किए और कितने लोगों को जेल की हवा खिलाई इसका आंकड़ा देखकर ही समझा जा सकता है कि या तो वन विभाग बेहद लापरवाह है या फिर इन आग की घटनाओं के पीछे दाल में कुछ काला जैसा है।
पिछले डेढ़ महीने में हुई वन अग्नि की घटनाएं……
– उत्तराखंड में 15 फरवरी से 7 अप्रैल तक कुल 272 वनों में आग लगने की घटनाएं हुई हैं।
– इसमें आरक्षित वन क्षेत्रों में 212 घटनाएं तो सिविल वन पंचायत क्षेत्रों में 60 घटनाएं हुई है।
– पिछले डेढ़ महीने में करीब 332.82 हेक्टेयर वन क्षेत्र इस आग से प्रभावित हुआ है।
– इसमें आरक्षित वन क्षेत्र का 236.96 हेक्टेयर क्षेत्र है जबकि सिविल वर पंचायत 95.86 हेक्टेयर है।
– इस तरह प्रदेश को पिछले डेढ़ महीने में इतनी वन संपदा के चलते करीब 11 लाख 85 हज़ार से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।
दरअसल, आग लगने की घटनाएं वन पंचायत के जंगलों की बजाय आरक्षित वनों में ज्यादा दिखाई देती है। ऐसे भी एक सवाल यह उठता है कि वन क्षेत्रों में प्लांटेशन को लेकर जो गड़बड़ी के सवाल उठते रहे हैं कहीं इन आग की घटनाओं का उससे कोई सीधा कनेक्शन तो नहीं? वैसे तो यह जांच का विषय है लेकिन पहले आप ये जानिए कि उत्तराखंड में पिछले डेढ़ महीने में आग लगने की घटनाओं को लेकर क्या आंकड़ा रहा। बीते 24 घंटे में उत्तराखंड में 24 अलग-अलग क्षेत्रों में जंगलों में आग लगी थी जिनमें 32.46 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर राख हो गए।
प्रमुख वन संरक्षक का कहना है कि इस मामले में सभी को निर्देश दिए गए हैं कि उचित व्यवस्था की जाए स्थानीय लोगों को साथ लेकर आग कंट्रोल करने के प्रभाव इंतजाम किए जाएं। उत्तराखंड में वन विभाग द्वारा आग बुझाने के लिए हाई टेक्निक का भी प्रयोग किया जा रहा है। प्रमुख वन संरक्षक ने बताया है कि इंडियन रिमोट सेंसिंग डिपार्टमेंट की मदद से एक विशेष ऐप बनाया गया है। जिससे लोग जिस भी जंगल में आग लगी होगी उसकी फोटो भेजेंगे तो उसकी पूरी लोकेशन और स्थिति की जानकारी वन विभाग को मिल जाएगी और तत्काल आग बुझाने के कार्य किए जाएंगे जाएंगे।
वही, देहरादून के डीएफओ नीतीश मणि त्रिपाठी ने बताया कि देहरादून मैदानी क्षेत्र है जिसके चलते इस क्षेत्र में अगर कोई वन अग्नि की छुटपुट घटना होती है तो वहां तत्काल प्रभाव से वन विभाग का स्टाफ पहुंचकर आग पर काबू पा लेता है। साथ ही कहा कि 8 रेंज देहरादून डीएफओ में आते हैं, जहां स्टॉप और पर्याप्त इक्विपमेंट की व्यवस्था पहले ही की जा चुकी है। इसके साथ ही वायरलेस के माध्यम से मास्टर कंट्रोल रूम से सभी जुड़े हुए हैं। वन विभाग में बड़े स्तर पर होने वाला पौधारोपण हमेशा सवालों के घेरे में रहा है आरोप लगते रहे हैं कि पौधारोपण के नाम पर महकमे में काफी कुछ गलत हो जाता है, लेकिन यह कैसी प्रक्रिया है जिसे पकड़ पाना काफी मुश्किल होता है।
उधर जंगलों में लगने वाली आग से बड़ी मात्रा में नया पौधारोपण भी जलकर खाक हो जाता है, और इन्हीं घटनाओं के कारण कुछ लोग इस बात की भी आशंका जताते हैं कि कहीं आग की यह घटनाएं कोई साजिश ना हो। बहरहाल, इन परिस्थितियों के बीच वन मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि विभाग की तरफ से सभी तैयारियों को किया गया है और इसके लिए उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही कहा कि समय से सूचनाएं आए इसके लिए भी व्यवस्थाएं की गई है।
उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होते ही जंगलों में आग का तांडव दिखने लगा है, दिनोंदिन आग की घटनाओं में तेजी से इजाफा भी हो रहा है। चिंता की बात यह है कि वन विभाग के पास कागजों में इसका प्लान तो है लेकिन समाधान नहीं। वैसे इसका समाधान महकमें के बस की बात नहीं दिखाई दे रही है, ऐसा इसलिए क्योंकि आग की ये घटनाएं हो कैसे रही है इस पर ही विभाग खुद सवालों के घेरे में हैं?