कोरोना के खतरे को देखते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जेलों में बंद सात साल से कम सजा पाने वाले कैदियों को पैराल पर रिहा करने की आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कैदियों से उनके परिवार और उनके वकीलों से मिलने के लिए ई-मुलाकात की व्यवस्था करने के निर्देश दिए है. वहीं, उत्तराखंड की जेलों में बंद कैदियों की स्थिति पर आईजी जेल ने गुरुवार को कोर्ट में अपना जवाब पेश किया.
आईजी जेल ने अपने जवाब में कोर्ट को बताया कि उत्तराखंड की जेल में करीब 6000 कैदी बंद है. जिसमें से 4 हजार कैदियों की सजा विचाराधीन है और 2 हजार कैदियों को सजा मिल चुकी है. सरकार ने सभी कैदियों की कोरोना जांच करवाई है, जिसमें से 59 कैदी कोरोना पॉजिटिव है, जबकि एक कैदी में संक्रमण के लक्षण हैं. इन कैदियों को संक्रमण मुक्त रखने के लिए सरकार ने पूरी व्यवस्था की है. प्रदेशभर के डीएम को निर्देश दिए हैं कि कैदियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाई जाए.
गौरतलब हो कि देहरादून निवासी याचिकाकर्ता ओमवीर सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई पावर कमेटी का गठन किया था. कोर्ट ने देश की सभी राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान जेल में बंद उन कैदियों को पैरोल या जमानत पर रिहा कर दिया जाए, जिनके अभी ट्रायल चल रहे हैं या जिनको कोर्ट ने सजा सुनाई जानी है.
ताकि कैदियों में संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. लेकिन उत्तराखंड में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जिस हाई पवार कमेटी का गठन किया गया था. उसमें राज्य विधिक प्राधिकरण के वरिष्ठ जज, प्रदेश के गृह सचिव और डीजीपी शामिल है.