पंचायत चुनावों में भाजपा का जलवा, कांग्रेस चारों खाने चित; जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर भाजपा की जीत का चौका और 11 ब्लॉक प्रमुख निर्विरोध निर्वाचित

  • भाजपा संगठन की शानदार रणनीति के सामने कांग्रेस पस्त
  • भाजपा की आंधी में उड़ी कांग्रेस, पंचायत चुनावों में औंधे मुंह गिरी कांग्रेस

देहरादून: जिला पंचायत चुनावों में उत्तराखंड की राजनीति ने एक बार फिर साफ़ कर दिया कि अगर रणनीति सटीक हो, टीम मज़बूत हो और नेतृत्व दृढ़ इच्छाशक्ति से लैस हो, तो जीत केवल संभावनाओं में नहीं, बल्कि हकीकत में बदल जाती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में भाजपा ने जिला पंचायत चुनावों में ऐसा चौका मारा कि कांग्रेस पस्त होकर मैदान से बाहर हो गई।

आज नामांकन का अंतिम दिन था और माहौल पूरी तरह भाजपा के पक्ष में रहा। अभी तक प्रदेश में भाजपा के 4 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हुए, जबकि 11 ब्लॉक प्रमुख पदों पर भी भाजपा प्रत्याशी बिना मुकाबले जीत गए। यह नतीजा केवल संयोग नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री धामी की महीनों पहले से तैयार की गई रणनीति, बूथ स्तर तक की सूक्ष्म मैनेजमेंट और संगठन के सामंजस्य का नतीजा है।

जिनमें जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में उत्तरकाशी से रमेश चौहान, पिथौरागढ़ से जितेंद्र प्रसाद, उधम सिंह नगर से अजय मौर्या और चंपावत से आनंद सिंह अधिकारी शामिल हैं।

इसी तरह ब्लॉक प्रमुख पदों पर भी भाजपा का परचम लहराया, जहां चंपावत से अंचला बोरा, काशीपुर से चंद्रप्रभा, सितारगंज से उपकार सिंह, खटीमा से सरिता राणा, भटवाड़ी से ममता पंवार, डुंडा से राजदीप परमार, जाखणीधार से राजेश नौटियाल, चंबा से सुमन सजवाण, विकासनगर से नारायण ठाकुर, पाबौ से लता देवी और ताकुला से मीनाक्षी आर्य निर्विरोध चुनी गईं।

रणनीति की धार: विरोधियों को मौका ही न मिले धामी की योजना शुरू से ही साफ थी—विपक्ष को मैदान में उतरने का अवसर ही न दिया जाए। स्थानीय समीकरणों को साधते हुए, हर जिले और ब्लॉक में भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार किया गया। भाजपा प्रत्याशियों के चयन में जातीय, भौगोलिक और सामाजिक संतुलन का बारीकी से ध्यान रखा गया, जिससे कांग्रेस अंदर ही अंदर बिखरती चली गई।

कांग्रेस की करारी हार: न खाता खुला, न चेहरा बचा कांग्रेस न केवल सीटें हार गई, बल्कि कई स्थानों पर तो नामांकन करने तक की स्थिति में नहीं रही। पार्टी के भीतर गुटबाज़ी, नेतृत्वहीनता और संगठनात्मक ढील ने स्थिति इतनी खराब कर दी कि धामी की रणनीति के सामने वह पूरी तरह बेबस नज़र आई। नतीजा—कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला और कार्यकर्ता हतोत्साहित हो गए।

संदेश साफ: 2027 की तैयारी शुरू : इन नतीजों ने एक और बड़ा संदेश दिया है कि भाजपा का संगठन न केवल सत्ता में बल्कि जमीनी राजनीति में भी उतना ही मज़बूत है। पंचायत स्तर से लेकर विधानसभा तक, भाजपा ने यह संकेत दे दिया है कि 2027 का चुनाव अभियान अभी से शुरू हो चुका है और उसकी कमान धाकड़ धामी के हाथों में है। प्रदेश की जनता ने भी यह भरोसा दिखा दिया है कि विकास, स्थिरता और सशक्त नेतृत्व का नाम भाजपा है, और इसके प्रतीक हैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Exit mobile version