उत्तराखंड में मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। ऐसे में प्रदेश के कई स्थानों में देर रात से रुक-रुककर बारिश हो रही है। तो वहीं, बारिश की वजह से भूस्खलन और जलभराव की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। प्रदेश में पांच नेशनल हाईवे, 15 स्टेट हाईवे समेत 200 से ज्यादा सड़के बाधित हैं। जिन्हें खोलने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन प्रदेश में मौजूद हालात ऐसे हैं कि भारी बारिश से चलते स्थितियां बेकाबू हो गई है। आलम यह है कि जहा एक ओर प्रदेश की सैकड़ो सड़के क्षतिग्रस्त हो गए है और कई पुल बह गए है तो वही तमाम क्षेत्र जलमग्न हो गए है।
हर साल मानसून सीजन के दौरान उत्तराखंड राज्य के तमाम क्षेत्र भारी बारिश की वजह से उपजे आपदा से प्रभावित होते हैं। हालांकि, इस दौरान जानमाल दोनों का ही नुकसान होता है। जिसे देखते हुए राज्य सरकार मानसून सीजन से पहले ही आपदा संबंधी व्यवस्थाओं को मुकम्मल करने में जुट जाती है लेकिन मानसून सीजन के दौरान स्थितियां इतना विकट हो जाती हैं कि राज्य सरकार की व्यवस्थाये नाकाफी साबित होती है। जिसका वर्तमान हालात प्रदेश में देखा जा सकता है। प्रदेश का एक भी ऐसा जिला नहीं है जो भारी बारिश की चपेट में ना आया हो। भारी बारिश होने की वजह से प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों समेत मैदानी क्षेत्रों में ना सिर्फ सड़कें बाधित और क्षतिग्रस्त हो गई हैं बल्कि लोगों का जीना मुहाल हो गया है।
राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के तमाम मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में बीते 2 दिनों से भारी बारिश देखने को मिल रहा है। जिसके चलते जिला देहरादून के कई सड़कों और पुलों के गिरने के साथ ही प्रदेश के पर्वतीय जिलों में भी सड़कें बाधित होने की सूचनाये लगातार आ रही है। यही नहीं, पर्वतीय क्षेत्रों समेत मैदानी क्षेत्रों में कई जगहों पर लोगों के घरों में बरसाती पानी भरा हुआ है तो कुछ जगह पर सड़कें पूरी तरह से जलमग्न हो गई है। यही नहीं, उत्तराखंड राज्य में बहने वाली सभी नदियां पूरे उफान में बह रही हैं और उनके रास्ते में आने वाली सभी चीजों को तबाह करते हुए आगे बढ़ रही है।
बारिश लैंडस्लाइड से 200 से ज्यादा सड़के बाधित: उत्तराखंड में बीते दो दिनों से हो रही लगातार हो रही भारी बारिश के चलते स्थितियां बत से बत्तर होती जा रही है। आलम यह है कि भूस्खलन और भूधंसाव से पांच नेशनल हाईवे समेत कुल 200 से ज्यादा सड़कें बंद हैं। जिन्हें खोलने का प्रयास किया जा रहा है। टिहरी जिला प्रशासन ने ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 58 को तपोवन से मलेथा तक आवागमन के लिए बंद कर दिया है। वहीं, पहाड़ियों से लगातार पत्थर और बोल्डर गिरने से पर्वतीय क्षेत्रों की यात्रा खतरनाक बनी हुई है। ऐसे में लोगों को इन दिनों पहाड़ की यात्रा टालने की सलाह दी गई है। यही नहीं, हरिद्वार में गंगा भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। ऐसे में प्रशासन ने पांच जिलों में हाई अलर्ट जारी किया है, साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को भी अलर्ट रहने को कहा है।
नदी नालों के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने के निर्देश: उत्तराखंड राज्य के देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और टिहरी में बारिश का दौर जारी है। मौसम विभाग ने अगले 24 से 36 घंटे तक प्रदेश के नैनीताल, चंपावत, बागेश्वर और पिथौरागढ़ समेत अन्य जिलों में भारी बारिश की संभावना है। इसे देखते हुए मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने नदी नालों के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने के निर्देश भी हैं। साथ ही कहा कि 30 अगस्त से 3 अगस्त तक प्रदेश में बारिश की एक्टिविटी में थोड़ी गिरावट देखी जाएगी। हालांकि, प्रदेश कुछ जगहों पर हल्की-फुल्की बारिश रहेगी लेकिन भारी बारिश होने की संभावना बेहद कम है।
भारी बारिश है ग्लोबल वार्मिंग का दुष्परिणाम: पीडब्ल्यूडी मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि प्रदेश में जो भारी बारिश हो रही है वहां ग्लोबल वार्मिंग का ही दुष्परिणाम है। जिससे आज लोग रूबरू हो रहे हैं। लिहाजा प्रदेश की स्थितियों कि लगातार राज्य सरकार मॉनिटरिंग कर रही है। ऐसे में सरकार जनता से यह भी अनुरोध कर रही है कि बेवजह घर से बाहर ना निकले कम से कम यात्रा करें इस संबंध में लोगों से अपील की गई है। साथ ही कहा कि पिछले 2 दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश को देखते हुए सिंचाई विभाग और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि मौके पर जाकर स्थितियों का मुआयना करें।
आपदा प्रभावित क्षेत्रो में पहुंचाया जा रहा है राहत सामग्री: सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आपदा की वजह से रानीपोखरी पुल समेत तमाम सड़क क्षतिग्रस्त हो गए हैं। राज्य सरकार लगातार स्थितियों पर नजर बनाए हुए हैं। साथ ही बताया की राहत संबंधी कार्य लगातार किए जा रहे है, दवाइयां खाद्य सामग्री आदि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जा रहा है। इसके साथ ही जो क्षेत्र आपदा के लिहाज से संवेदनशील है उन क्षेत्रों में भी दवाइयां और खाद्य सामग्री पहले से ही भेजी जा रही हैं।