आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 31 जनवरी को नामांकन की पूरी प्रक्रिया संपन्न हो गई। 31 जनवरी को नाम वापसी की अंतिम तिथि थी। ऐसे में अब राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार प्रसार को एक अभियान के रूप में चलाने की कवायद ने जुट गई है। लेकिन प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के लिए बागी नेता की मुश्किलें खड़ी कर हैं। दरअसल, टिकट ना मिले की वजह से नाराज चल रहे तमाम नेताओं ने निर्दलीय नामांकन किया है। जिसमें से तमाम नेताओं को तो पार्टियां मनाने में कामयाब रही लेकिन 22 नेता ऐसे हैं जो अभी भी चुनावी मैदान में डटे हुए है।
इस विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के तमाम नेताओं ने निर्दलीय नामांकन भरा है जिसमें से मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी के 20 नेताओं ने प्रदेश भर में निर्दलीय नामांकन भरा था। तो वहीं कांग्रेस पार्टी के 15 बागियों ने निर्दलीय नामांकन भरा था। हालांकि, पार्टी की ओर से मान मनोबल के बाद बीजेपी ने अभी तक मात्र 5 बागियों को ही बना पाई है ऐसे में बीजेपी के 15 बागी नेता अभी भी निर्दलीय डटे हुए है। तो वही कांग्रेस पार्टी ने 15 बाकी नेताओं में से 8 नेताओं को मनाने में कामयाब हुई है। हालांकि डैमेज कंट्रोल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा दी बावजूद इसके अभी भी तमाम नेताओं को नहीं बनाया जा सका जिसका नुकसान चुनाव में दोनों ही पार्टी को उठाना पड़ेगा।
भाजपा को धनोल्टी, घनसाली, कर्णप्रयाग, कोटद्वार, रुद्रपुर और भीमताल विधानसभा में नुकसान होगा। इसी तरह कांग्रेस को लाल कुआं, रुद्रप्रयाग, यमुनोत्री और घनसाली विधानसभाओं में बागियों से नुकसान होगा। भाजपा के बागियों में डोईवाला सीट से जितेंद्र नेगी, धर्मपुर से वीर सिंह पवार, देहरादून कैंट से दिनेश रावत, धनोल्टी से महावीर रंगड़, घनसाली से दर्शन लाल, कोटद्वार से धीरेंद्र सिंह चौहान, कर्णप्रयाग से टीका प्रसाद मैखुरी, रुद्रपुर से विधायक राजकुमार ठुकराल, किच्छा से अजय तिवारी, रानीखेत से दीपक करगेती, लाल कुआं से पवन चौहान और कुंदन मेहता, भीमताल से लाखन सिंह नेगी और मनोज शाह, के साथ ही रुड़की से नितिन शर्मा चुनावी मैदान में है।