नाबार्ड की आरआईडीएफ (ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि) पर द्वितीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सचिवालय में बैठक की गई। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में मंगलावार को हुई बैठक में तमाम विभागीय अधिकारियों मौजूद रहे। बैठक के दौरान सीएस ने नाबार्ड के तहत स्वीकृत प्रस्तावों के सापेक्ष विभागो द्वारा लक्ष्य से कम लोन देने पर नाराजगी व्यक्त की। साथ ही मुख्य सचिव ने डिस्बर्समेंट को गम्भीरता से लेते हुए लोन वितरण और अदायगियों के लक्ष्य को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। बैठक के दौरान विद्यालयी शिक्षा विभाग के अधिकारी का मौजूद नही होने पर सीएस ने विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है।
सीएस ने पेयजल विभाग को पेयजल सुविधाओं के विकास से सम्बन्धित प्रस्तावों को जल्द भेजने और नाबार्ड को पेयजल प्रस्ताव पर जल्द से जल्द काम करने के निर्देश दिए। सभी विभागों के सचिवों और विभागाध्यक्षों को लोन वितरण और अदायगियों में तेजी लाने के लिए हर हफ्ते समीक्षा करने के निर्देश दिए। विभागों की ओर से लोन वितरण और अदायगियों पर ध्यान देने को कहा। साथ ही नाबार्ड को प्रस्ताव भेजने के दौरान प्रक्रियाओं में हो रही देरी को देखते हुए सीएस ने प्रक्रियाओं के सरलीकरण और तीव्रता के निर्देश दिए। वित्त विभाग को अगले एक सप्ताह में धीमी गति से चल रहे सभी प्रोजेक्ट्स की समीक्षा के भी निर्देश दिए हैं।
नाबार्ड को निर्देश दिए कि सिंचाई सुविधाओं के विकास के सापेक्ष किसानों की कृषि आय में बढ़ोतरी पर तुलनात्मक अध्ययन करे। साथ ही नाबार्ड को प्रस्तावों की स्वीकृति में तेजी लाने के भी निर्देश दिए हैं। बैठक के दौरान अपर सचिव वित्त ने बताया कि उच्चाधिकार समिति की ओर से वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए आरआईडीएफ के तहत 1162 करोड़ के सापेक्ष 1098 करोड़ लोन डिस्बर्समेंट का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि 1098 करोड़ के डिस्बर्समेंट के लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक विभागों द्वारा मात्र 232.28 करोड़ का डिस्बर्समेंट किया गया है।
राज्य में नाबार्ड के तहत ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) से 2.05 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधाओं का सृजन और पुनर्द्धार किया गया है। करीब 14,766 किमी ग्रामीण सड़कों के नेटवर्क का निर्माण और सुधार किया गया है। 27307 मीटर ब्रिज का निर्माण किया जा चुका है। 23.77 लाख ग्रामीण आबादी को पेयजल सुविधा मिल चुकी है। 241 स्कूल और आईटीआई का निर्माण और पुनर्द्धार किया गया है।