यूकेएसएसएससी की भर्ती परीक्षा आयोजित कराने वाले कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी।

यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने परीक्षा आयोजित कराने वाले कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है हालांकि इस नोटिस में जिक्र किया गया है कि क्यों ना इस कंपनी के विरुद्ध नियमानुसार कानूनी कार्रवाई अमल में लाते हुए कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाए। दरअसल, जारी किए गए नोटिस के तहत यूकेएसएसएससी के विभिन्न पदों पर आयोजित हुई लिखित परीक्षाओं में हुई अनियमितता का जिक्र किया गया है। हालांकि, पेपर लीक मामले में एसटीएफ की जांच में इस कंपनी के दो कर्मचारी गिरफ्तार किए गए हैं।

यूकेएसएसएससी द्वारा भेजे गए कारण बताओ नोटिस के अनुसार, कम्पनी आर०एम०एस० टैक्नोसॉल्यूशन प्रा०लि० द्वारा उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की विभिन्न पदों हेतु आयोजित की जाने वाली लिखित परीक्षाओं का संचालन किया गया है। आयोग द्वारा इस संस्थान के माध्यम से दिनांक 4 व 5 दिसम्बर 2021 को करायी गयी स्नातक स्तरीय परीक्षा एवं दिनांक 26 सितम्बर 2021 को आयोजित करायी गयी। सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक किये जाने के संबंध में स्पेशल टास्क फोर्स, उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा जांच की जा रही है।

स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा की जा रही जांच में उपरोक्त परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक किये जाने के संबंध में प्रथम दृष्टया आपके संस्थान की संलिप्तता परिलक्षित हुई है जोकि एक गम्भीर अपराध की श्रेणी में आता है। स्नातक स्तरीय परीक्षा में हुई गड़बड़ी के संबंध में पंजीकृत मुकदमे की विवेचना के दौरान गिरफ्तार अभियुक्तों में से दो अपराधी (जयजीत दास एवं अभिषेक वर्मा) इस कम्पनी के कर्मचारी है अर्थात् परीक्षा के पेपर लीक करवाने में इस कम्पनी के कर्मचारियों की संलिप्तता पायी गयी है। आपराधिक एवं कदाचारयुक्त कृत्य से आयोग की छवि धूमिल होने के साथ ही उक्त परीक्षाओं की संवेदनशीलता एवं शुचिता बाधित हुयी है।

आपराधिक एवं कदाचारयुक्त कृत्य के लिए क्यों न इस संस्थान के विरूद्ध नियमानुसार कानूनी कार्यवाही अमल में लाते हुए आपकी फर्म को काली सूची में डाल दिया जाय। इस सम्बन्ध में सम्पूर्ण वस्तुस्थिति / तथ्यों सहित कारण बताते हुये अपने संस्थान का पक्ष आयोग के समक्ष इस पत्र के निर्गत होने की तिथि से एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करें। इस अवधि के भीतर यदि आपके संस्थान का कोई उत्तर आयोग में प्राप्त नहीं होता है तो यह मान लिया जाएगा कि संस्थान को इस सम्बन्ध में कुछ नहीं कहना है और इसके बाद आयोग द्वारा नियमानुसार निर्णय ले लिया जाएगा।

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