उत्तराखंड राज्य 21 साल का हो गया है। 9 नवंबर को उत्तराखंड का राज्य स्थापना दिवस है। 21 साल में उत्तराखंड ने विकास के कई मुकाम छूए हैं। लेकिन कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर अब तक की सरकारें ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं। 21 साल में अब तक 10 साल भाजपा और 10 साल कांग्रेस को मिले है। दोनों सरकारों को उत्तराखंड में विकास करने का पूरा मौका जनता ने दिया, लेकिन उत्तराखंडियत का सपना आज भी पूरा नहीं हुआ राज्य के पहाड़ों से लगातार पलायन जारी है। मूलभूत सुविधाओँ के लिए राज्य की जनता आज भी परेशान है।
11वा हिमालयी राज्य उत्तराखंड आज 21 साल का हो गया है। 9 नवंबर साल 2000 को उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई। 21 साल में उत्तराखंड ने विकास के कई मुकाम छूए हैं। लेकिन कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर अब तक की सरकारें ठोस कदम नहीं उठा पाई हैं। 21 साल में अब तक 10 साल भाजपा और 10 साल कांग्रेस को मिले। दोनों सरकारों को उत्तराखंड में विकास करने का पूरा मौका जनता ने दिया, लेकिन उत्तराखंडवासियों का सपना आज भी अधूरा है।
बता दें कि मूलभूत सुविधाओं पर ठोस नीति की जरुरत उत्तर प्रदेश से पृथक पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के लिए सालों तक यहां के लोगों ने आंदोलन किया। जिसमें शहीदों के बलिदान और राज्य आंदोलनकारियों के प्रयास से 9 नवंबर 2000 को पृथक उत्तराखंड राज्य बना। हालांकि तब राज्य का नाम उत्तरांचल रखा गया था। जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के मुद्दों को लेकर राज्य की जनता आए दिन सड़कों पर रहती है।
लेकिन आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार सरकारों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है, वहीं राज्य का गैरसेंण सबसे बड़ा मुद्दा 21 साल में गैरसेंण आज भी उत्तराखंड का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। कांग्रेस सरकार में गैरसेंण को लेकर पहल हुई तो विधानभवन से लेकर सत्र तक आयोजित हुआ। भाजपा की सरकार आई तो बजट सत्र भी गैरसेंण भी करवाने के साथ ही गैरसेंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी और कमीश्नरी बनाने का ऐलान कर दिया। लेकिन जिले की जगह कमीश्नरी बनाने का ऐलान भाजपा के लिए उल्टा दांव घोषित हुआ।
वहीं, धामी सरकार ने राज्य के 21 साल पूरे होने पर इस बार स्थापना दिवस को खास अंदाज में मनाने पर फोकस किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्थापना दिवस समारोह को गरिमा के साथ आयोजित किए जाने के निर्देश दिए हैं। राज्य स्थापना दिवस को उत्तराखंड महोत्सव के रूप में आयोजित किया जाएगा। जो कि एक सप्ताह तक राजधानी से लेकर न्याय पंचायत स्तर तक कार्यक्रमों को आयोजित होगा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उत्तराखंड गौरव पुरस्कार प्रदान किए जाने की भी बात कही, जिसमें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले प्रतिष्ठित लोगों को पुरस्कृत किए जाने की व्यवस्था की जाए। 21वें राज्य स्थापना दिवस समारोह के विशेष अवसर पर पुलिस लाइन, देहरादून में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
कुल मिलाकर उत्तराखंड राज्य को बने भले ही 21 साल हो गये हों लेकिन राज्यवासियों के सपने आज भी अधूरे हैं। सरकार को चाहिए की वह जनता की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का विकास करे। आज भी पहाड़ों में बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, रोजगार की बेहद आवश्यकता है जिसे पूरा किया जाना जरूरी है देखना होगा कबतक राज्यवासियों की उम्मीदें पूरी हो पाती है।