मुख्यमंत्री आवास का वनवास खत्म हो गया है। जी हां, प्रदेश के 11वें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सारे मिथकों को तोड़ते हुए सीएम आवास में गृह प्रवेश कर लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित शिव मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री आवास स्थित गौशाला में गौ-सेवा भी की। हालांकि, इस दौरान राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने मुख्यमंत्री से भेंट कर शुभकामनाएं भी दीं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 26 जुलाई को न्यू कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास में विधिवत पूजा-अर्चना के बाद गृह प्रवेश किया। मुख्यमंत्री आवास से जुड़े मिथक और गृह प्रवेश पर सीएम धामी ने कहा कि वो हमेशा कर्म में विश्वास रखता है,और वर्तमान में जीते है। भविष्य में क्या होगा उसकी चिंता अभी से क्यों की जाए। इतने संसाधन उसमें लगे हैं तो राज्य का जो भी मुखिया हो, उसे वहीं रहना चाहिए। बता दें कि उत्तराखंड में सीएम आवास को लेकर कई मिथक रहे है। धारणा यह है कि जो भी मुख्यमंत्री यहां रहा वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है।
किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री आवास बेहद खास होता है लेकिन उत्तराखंड राज्य का मुख्यमंत्री आवास , समय-समय पर विवादों से भी गिरता रहा है। क्योंकि, मुख्यमंत्री आवास एक मिथक से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि मुख्यमंत्री आवास अपशगुनी है। जिसकी वजह यह है कि अमूमन चर्चाएं इसी बात की रहती हैं कि जो भी मुख्यमंत्री इस आवास में रहता है वह अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता है। हालांकि, यह एक मिथक के रूप में देखा जा रहा है लेकिन अगर इस मुख्यमंत्री आवास में रहने वाले मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल पर गौर करें तो अभी तक तो ऐसा ही होता रहा है। लिहाजा, अटकलें लगाई जा रही हैं कि इन्हीं अफवाहों की वजह से ही पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, मुख्यमंत्री आवास में रहने नहीं गए।
18 करोड़ की लागत और पहाड़ी शैली से बना है आवास……..
राजधानी देहरादून की वादियों में 18 करोड रुपए की लागत से पहाड़ी शैली में बना उत्तराखंड मुख्यमंत्री आवास अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। गढ़ी कैंट में राजभवन के बराबर में बने मुख्यमंत्री आवास का निर्माण कार्य तत्कालिक मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के शासनकाल में हुआ था। मुख्यमंत्री आवास बनाने की मुख्य वजह यह रही थी क्योंकि तात्कालिक मुख्यमंत्री एनडी तिवारी सर्किट हाउस में रह रहे थे। लेकिन सर्किट हाउस की हालत जर्जर होने के बाद मुख्यमंत्री आवास बनाने का निर्णय लिया गया था।
तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी ने बंगले का किया था उद्घाटन…….
जब तक मुख्यमंत्री आवास का निर्माण कार्य पूरा होता, तब तक एनडी तिवारी का कार्यकाल पूरा हो चुका था। इसके बाद साल 2007 में बीजेपी सत्ता में काबिज हुई और प्रदेश की कमान मुख्यमंत्री के तौर पर बीसी खंडूरी को दिया गया। जिसके बाद बीसी खंडूरी ने इस अधूरे बंगले को पूरी शिद्दत के साथ तैयार कराया। और फिर बंगले के तैयार होने के बाद बतौर मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी ने इसका उद्घाटन किया और वहीं रहने लगे।