दिल्ली के चाणक्यपुरी में करीब 120 करोड़ 52 लाख रुपए की लागत से बनकर तैयार हुए ‘उत्तराखण्ड निवास’ को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है। दरअसल, चर्चाएं इसलिए भी हैं क्योंकि उत्तराखंड निवास के निर्माण के दौरान उत्तराखंड सरकार ने इस बात को कहा था कि इसमें उत्तराखंड के लोग भी ठहर सकेंगे। लेकिन उत्तराखंड निवास में रुकने से संबंधित शासनादेश, पब्लिक डोमेन में आने के बाद चर्चाएं शुरू हो गई है। क्योंकि राज्य संपति विभाग की ओर से जारी शासनादेश के अनुसार सचिव स्तर तक के अधिकारी ही उत्तराखंड निवास में रुक सकेंगे। जिस पर अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नाराजगी जाहिर करते हुए तत्काल शासनादेश में संशोधन करने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, दिल्ली में बनकर तैयार हुए उत्तराखंड निवास का 6 नवंबर 2024 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकार्पण किया था। उत्तराखण्ड निवास में राज्य की संस्कृति, लोक कला और वास्तुकला का समावेश किया गया है। उत्तराखण्ड निवास की दीवार पारंपरिक रूप से पहाड़ी शैली के सुंदर पत्थरों से बनाया गया है, जो उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शा रही है। हालांकि, उत्तराखंड निवास के लोकार्पण के दौरान सीएम ने कहा कि आरामदायी आवास व्यवस्था और उत्तराखण्ड की संस्कृति की झलक को समेटे यह भवन राष्ट्रीय राजधानी में उत्तराखंड की गरिमा का प्रतीक बनेगा। साथ ही उत्तराखण्ड निवास में हमारे पारंपरिक व्यंजनों की व्यवस्था की जाएगी।
लेकिन अब उत्तराखंड निवास में रुकने के लिए एक पात्रता संबंधित शासनादेश और रेट लिस्ट संबंधित शासनादेश जारी होने के बाद सवाल उठने लगे हैं। 13 दिसंबर को राज्य संपति विभाग की ओर से उत्तराखंड निवास में रुकने वालों की पात्रता संबंधित शासनादेश जारी किया गया था साथ ही किराए की भी सूची जारी की गई थी। जारी किए गए शासनादेश के अनुसार, उत्तराखंड शासन के सचिव स्तर तक के अधिकारी ही उत्तराखंड सदन में रुक सकते हैं। इसी तरह पुलिस विभाग के आईजी स्तर तक के अधिकारी ही इस सदन में रुक सकते हैं। इसके अलावा, फॉरेस्ट विभाग के तहत प्रमुख वन संरक्षक/ मुख्य वन संरक्षक लेवल के अधिकारियों को ही रोकने की अनुमति है। साथ ही इस शासनादेश में प्रदेश के किसी भी आम जनता के रुकने का कोई जिक्र नहीं है।
जिस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी नाराजगी व्यक्ति की है। साथ ही सीएम धामी ने गुरुवार को राज्य संपति विभाग को निर्देश दिए हैं कि नई दिल्ली में नवनिर्मित उत्तराखंड निवास आम जन के लिए भी उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। उत्तराखंड निवास में कक्ष आरक्षण के लिए जारी शासनादेश को तत्काल संशोधित किया जाए साथ ही उत्तराखंड के आम व्यक्तियों को भी उपलब्धता के आधार पर वहा कक्ष मिल सके ऐसी व्यवस्था की जाए। साथ ही मुख्यमंत्री ने दरों का भी पुनर्निर्धारण करने के निर्देश दिए है।
राज्य संपति विभाग की ओर से जारी पात्रता सूची……….
– राज्यपाल
– मुख्यमंत्री
– अध्यक्ष, विधान सभा/ मंत्रीगण/ नेता प्रतिपक्ष
– उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश/ न्यायाधीशगण
– सांसदगण / विधायकगण/ दायित्वधारीगण।
– पूर्व मुख्यमंत्रीगण।
– एडवोकेट जनरल
– राष्ट्रीय एवं उत्तराखण्ड में राज्य स्तर का दर्जा प्राप्त राजनैतिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष।
– राज्य स्तर के विभिन्न संवैधानिक आयोगों के अध्यक्षगण।
– नगर निगमों के मेयर/ जिला पंचायत अध्यक्ष।
– उत्तराखण्ड शासन में कार्यरत मुख्य सचिव/अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव / सचिवगण।
– पुलिस महानिदेशक/अपर पुलिस महानिदेशक / पुलिस महानिरीक्षक
– प्रमुख वन संरक्षक / मुख्य वन संरक्षक।
– राज्य स्तर के विभागाध्यक्षगण।
– राज्य के मुख्य स्थायी अधिवक्ता।
– राज्य के उच्च पदस्थ अधिकारीगण (वेतन लेवल 13 (ए) या इससे उच्च स्तर) / केन्द्र सरकार के उत्तराखण्ड राज्य में कार्यरत समकक्ष वेतन लेवल के अधिकारीगण।