उत्तराखंड की जल संरक्षण और वृक्षारोपण अभियान, 2024 को सफल बनाने के लिए सरकार ने जल संरक्षण और जल संचय की दिशा में काम करने का निर्णय लिया हैं। दरअसल, बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में जल संरक्षण और वृक्षारोपण अभियान, 2024 को लेकर बैठक की गई। बैठक के दौरान सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि नदियों और जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए सभी संबंधित विभाग आपसी तालमेल बनाकर कार्य करें। बैठक में निर्णय लिए गया कि 10 से 16 जून 2024 तक प्रदेशभर में व्यापक स्तर पर जल उत्सव सप्ताह मनाया जाएगा।
सीएम धामी ने कहा कि वैज्ञानिक आधार पर जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में काम किया जाए। इसके लिए यूकॉस्ट, यूसर्क के साथ ही जल संरक्षण और संवर्द्धन के लिए काम करने वाली अन्य संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाए। किसी भी अभियान को सफल बनाने के लिए जन सहभागिता बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करती है। ऐसे में जल संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए काम करने वाले लोगो के साथ ही जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित करे। अधिकारियों को सीएम ने निर्देश दिए कि पुनर्जीवित करने के लिए जिन नदियों और जल स्रोतों को अभी तक चिन्हित किया गया है, उनका बेस लाइन डाटा भी तैयार किया जाए।
नदियों और जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए लघुकालिक और दीर्घकालिक योजना तैयार कर काम करे। साथ ही वर्षा जल संचय की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए जो नीति बनाई गई है उसका नियमानुसार पालन कराया जाय। प्रदेश के जो जल स्रोत तेजी से सूख रहे हैं, उनके संरक्षण के लिए बेहतर कार्ययोजना तैयार कर काम किया जाए। चाल-खाल और अमृत सरोवरों के निर्माण कार्यों में तेजी लाई जाय। शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण संचय और संरक्षण के लिए प्रभावी तरीके से काम किया जाए। सीएम ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिये कि वनाग्नि से संभावित क्षेत्रों में नमी संरक्षण की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए, ताकि वनाग्नि पर लगाम लगाई जा सके। इस दिशा में वन विभाग पूरी योजना बनाकर काम करें।
सीएम ने बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि आगामी हरेला पर्व से बृहद स्तर पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाए। ये अभियान करीब एक महीने तक संचालित किया जाए। फलदार और छायादार वृक्षों का सबसे अधिक रोपण किया जाए। वृक्षारोपण के साथ ही वृक्षों का संरक्षण भी बहुत जरूरी है, लिहाजा संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। वृक्षारोपण अभियान को न्याय पंचायत स्तर तक संचालित किया जाय। न्याय पंचायत स्तर पर गोष्ठी के जरिए, जल संरक्षण और वृक्षारोपण के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाए। साथ ही न्याय पंचायतो, विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में वृक्षारोपण अभियान के तहत फलदार पौध भी वितरित किये जाएं।