लंपी स्किन डिजीज को लेकर उत्तराखंड में अलर्ट, पशुओं के परिवहन पर लगाया गया रोक, करीब 4000 पशुओं में फैल चुका है रोग

देश के कई राज्यों के बाद अब उत्तराखंड राज्य में भी लंपी स्किन डिजीज तेजी से पैर पसार रहा है। तेजी से फैल रहे इस डिजीज ने पशुपालन विभाग की चिंताओं को और अधिक बढ़ा दिया है। उत्तराखंड में गाय व भैंसों में लंपी त्वचा रोग के लगातार पैर पसारने से चिंता भी बढ़ने लगी है। इसे देखते हुए शासन ने राज्य में पशुओं के परिवहन पर रोक लगा दी है। सचिव पशुपालन डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए है।

जारी किए गए आदेश के अनुसार, उत्तराखण्ड राज्य में गोवंशीय पशुओं में तीव्र संक्रामक रोग Lumpy Skin Disease (LSD) के प्रकरण शासन के संज्ञान में आये हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए रोग प्रभावित क्षेत्र के 01 किमी परिधि के क्षेत्र को Infected Zone घोषित किया जाना है। 01 किमी से 10 किमी परिधि वाले क्षेत्र को Surveillance Zone घोषित किया जाना है तथा 10 किमी परिधि से दूर के क्षेत्र को Disease Free Zone घोषित किया जाना आवश्यक है।

यह रोग पशुजन्य मानव रोग (Zoonotic Disease) नहीं है लेकिन यह रोग अत्यन्त संक्रामक है तथा इस रोग के कारण पशुओं में तीव्र ज्वर त्वचा पर गोल गोल दाने पैदा होना तथा गर्भपात एवं उत्पादनशीलता की समाप्ति की समस्या पैदा होती है। Infected Zone के 01 किमी परिधि के क्षेत्र में, रोगी पशुओं का पृथक्करण, रोगी पशुओं की लक्षणों के अनुरुप चिकित्सा, बाहयपरजीवियों का नियंत्रण किया जाना अपेक्षित है तथा 1 किमी से 10 किमी परिधि वाले Surveillance Zone में इस रोग की रोकथाम Ring Vaccination किया जाना है। यह रोग मुख्य रूप से गुजरात- पाकिस्तान सीमा पर अवस्थित पश्चिमी भारत से Goat Pox देशभर में फैल चुका है।

उन्होंने बताया कि राज्य के भीतर पशु चिकित्सक के प्रमाणपत्र के आधार पर ही पशु को एक से दूसरे स्थान पर ले जाने की अनुमति होगी। अन्य राज्यों से लाए जाने वाले पशुओं के मामले में भी फिलहाल यही नियम लागू होगा। यह बीमारी पीड़ित पशु से दूसरे पशु में फैलती है। इसे देखते हुए ही पशुओं के परिवहन पर रोक लगाई गई है। सचिव पशुपालन डा. पुरुषोत्तम के अनुसार लंपी रोग की रोकथाम के लिए सभी प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। उप्र से लगे राज्य के जिलों में विशेष सतर्कता बरतने और टीकाकरण तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।

पशुओं में लंपी त्वचा रोग के मामले अभी तक चार जिलों में सामने आए हैं। इनमें हरिद्वार जिले में सर्वाधिक 3354 पशु इस रोग की चपेट में आए हैं, जिनमें से 67 की मृत्यु हो चुकी है। इसके अलावा देहरादून जिले में 370, पौड़ी में 26 और टिहरी में चार पशु लंपी की गिरफ्त में आए हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए टीकाकरण शुरु कर दिया है। हरिद्वार में 8428 और देहरादून में 1047 पशुओं का टीकाकरण अब तक किया जा चुका है।

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