विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया कल यानी 16 नवंबर से भगवान बदरीनाथ की पंच पूजाएं शुरू हो जायेगी। हालांकि, बाबा केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट पहले ही शीतकाल के लिए बंद हो चुके है। इसी क्रम में कल ब्रम्ह मुहर्त में भगवान बदरीविशाल की पंच पूजाएं शुरू हो जायेगी। 16 नवंबर को श्री गणेश भगवान की पूजा एवं कपाट बंद होंगे। 17 नवंबर श्री आदि केदारेश्वर के कपाट बंद हो जायेंगे। 18 नवंबर को खडग पुस्तक पूजन होगा। इस दिन से वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो जायेगा। 19 नवंबर को मां लक्ष्मी की पूजा एवं आव्हान होगा।
इसके बाद 20 नवंबर को शाम 6 बजकर 45 मिनट पर श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।कपाट बंद होने के बाद 21 नवंबर को प्रात: आदि गुरु शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी रावल सहित श्री उद्धव जी, श्री कुबेर जी योग -ध्यान बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेंगे। श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी योग -ध्यान बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान हो जायेंगे। साथ ही 22 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी एवं रावल, श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगे। योग बदरी पांडुकेश्वर एवं श्री नृसिंह बदरी जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी।
केदारनाथ भगवान की पंचमुखी उत्सव मूर्ति 6 नवंबर को कपाट बंद होने के बाद बीते सोमवार यानी 8 नवंबर को पंचकेदार शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ में स्थापित होते ही भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजाए शुरू हो गयी है। कपाट बंद होने के बाद परंपरागत रूप से गंगोत्री धाम की शीतकालीन पूजाएं गद्दीस्थल मुखबा ( मुखीमठ) और यमुना की शीतकालीन पूजाएं खरसाली (खुशीमठ) में चल रही हैं। उत्तराखंड की चार धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन गद्दी स्थलों में छ: माह शीतकालीन पूजाएं होती हैं।
अभी तक चार लाख पिचासी हजार से अधिक तीर्थयात्री उत्तराखंड चारधाम दर्शन कर चुके हैं। केदारनाथ धाम सहित गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये है द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट 22 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद होंगे। साथ ही 25 नवंबर को मद्महेश्वर मेला आयोजित होगा।