प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे है ब्लैक फंगस के मामले, चार दिन के भीतर 28 मरीजो में हुई पुष्टि

कोरोना काल के बीच ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) की दस्तक ने राज्य सरकार की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। राजधानी देहरादून के एक निजी अस्पताल में जहां बीते दिन ब्लैक फंगस का एक मामला सामने आया था, इसके बाद अब देहरादून, ऋषिकेश समेत अल्मोड़ा जिले में भी मामले सामने आने शुरू हो गए हैं। सबसे अधिक ऋषिकेश एम्स में अभी तक 25 मामले सामने आ चुके है। यानी अभी तक प्रदेश भर में कुल 28 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी है। जिसके बाद अब स्वास्थ्य विभाग की चुनौतियां बढ़ गई है कि आखिर कोरोना संक्रमण के दौरान ब्लैक फंगस के संक्रमण पर कैसे रोक लगाई जाए।

ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) एक तरह का फंगल (कवक) इंफेक्शन है, जो कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद पाया जा रहा है। म्यूकोरमाइसिटीस, सबसे सामान्य रूप से राइजोपस प्रजाति से संबंधित है। जिसमे मोल्ड, म्यूकोर प्रजातियां, कनिंघमेला बथलेटिया, एपोफिसोमी प्रजातियां और लिक्टीमिया (एब्सिडिया) प्रजातियां शामिल हैं। यह आमतौर पर मिट्टी में पाया जाता है। ब्लैक फंगस संक्रमण, अस्पताल के साथ ही घरों में भी फैलने की आशंका रहती है। जिसमें पुराने कंडीशनर, सीलन युक्त कमरे, गंदे कपड़े, घाव को ढकने के लिए प्रयोग में लाई गई पट्टी, मिट्टी के कमरों का हवादार ना होना मुख्य कारण है। 

आपको बता दे कि प्रदेश में पहला ब्लैक फंगस का मामला देहरादून स्थित मैक्स हॉस्पिटल में सामने आया था। जिसके बाद देहरादून स्तिथ महंत इंद्रेश और हल्द्वानी में 1-1 मामला सामने आया था। इसके बाद ऋषिकेश एम्स में बीते दिन 2 मामले सामने आए थे। जिसके बाद से प्रदेश में ब्लैक फंगस का मामला बढ़ने लगा। आलम यह है कि अभी तक ऋषिकेश एम्स में ही सिर्फ 25 मरीजो में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। हालांकि, अभी भी कई संदिग्ध मरीज भी पाए गए हैं जिनमें ब्लैक फंगस होने की आशंका जताई जा रही है।

ब्लैक फंगस उन लोगों में अधिक होता है जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं या फिर जिसका इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है। ऐसे लोगों के शरीर में कीटाणु और बीमारी से लड़ने की क्षमता कम होती है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण से ठीक हुए जिन लोगों को मधुमेह, केटोएसिडोसिस, कैंसर, अंग प्रत्यारोपण, स्टेम सेल प्रत्यारोपण, न्यूट्रोपीनिया आदि बीमारियां होती हैं उनमें ब्लैक फंगस होने का खतरा बढ़ जाता है। स्वास्थ्य महानिदेशक तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि ब्लैक फंगस को कोरोना से कोरिलेट नहीं कर सकते लेकिन, कोरोना संक्रमण होने के बाद शरीर की इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाती है। जिससे ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) को बढ़ने के लिए एक अवसर मिल जाता है। 

ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) संक्रमित मरीजों के लक्षण

– आंख, नाक के पास लालिमा के साथ दर्द होता है।
– मरीज को चेहरे में दर्द और सूजन का एहसास होता है।
– मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है।
– खून की उल्टी होने के साथ सिर दर्द, खांसी और बुखार होता है।
– मरीज की नाक से काला कफ जैसा तरल पदार्थ निकलता है।
– मानसिक स्थिति में बदलाव देखा जाता है
– दांतों और जबड़ों में ताकत कम महसूस होने लगती है।
– कई मरीजों को धुंधला दिखाई देता है।
– मरीजों को सीने में दर्द होता है।
– स्थिति बेहद खराब होने पर मरीज बेहोश हो जाता है।

ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) से ऐसे करें बचाव

– शुगर के मरीज बरते खास सावधानी, शुगर को कंट्रोल में रखें।
– शुगर के मरीज कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लड शुगर जांचते रहें।
– स्टेरॉयड्स को लेकर डॉक्टरों की सलाह लें।
– ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ पानी का ही प्रयोग करें।
– जितना हो सके धूल वाले क्षेत्रों में जाने से बचें। 
– मास्क का प्रयोग करें, और मास्क से नाक को जरूर रखें। 
– निर्माण या उत्खनन धूल वाले क्षेत्रों से बचने कोशिश करें।
– एंटीबायोटिक्स, एंटी फंगल की दवा को डॉक्टर की सलाह पर ही लें।
– तूफान और प्राकृतिक आपदाओं के बाद पानी से क्षतिग्रस्त इमारतों और बाढ़ के पानी के सीधे संपर्क से बचें।
– त्वचा के संक्रमण के विकास की संभावना को कम करने के लिए, त्वचा की चोटों को साबुन और पानी से अच्छी तरह साफ करें।
– किसी भी तरह के अलर्ट को इग्नोर न करें।
– अगर आपको कोविड हुआ है तो बंद नाक को महज जुकाम मानकर हल्के में न लें।
– फंगल इंफेक्शन को लेकर जरूर टेस्ट करवाने में देरी न करें।

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