उत्तराखंड राज्य में जहां एक ओर कोरोना संक्रमण तेजी से पैर पसार रहा है तो वही, अब प्रदेश में डेंगू का खतरा भी मंडराने लगा है। हालांकि, नगर निगम की ओर से डेंगू के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं और लोगों को घर में साफ सफाई रखने को लेकर जागरूक किया जा रहा है तो वही आने वाले समय में डेंगू के खतरे को देखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक ने गाइडलाइन जारी कर दिए हैं। ताकि डेंगू के खतरे को देखते हुए अभी से ही स्वास्थ्य महकमा अपनी तमाम व्यवस्थाओं को मुकम्मल कर लें।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक की ओर से जारी किए गए गाइड लाइन के अनुसार उत्तराखण्ड में मच्छर जनित रोग डेंगू एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में परिलक्षित हो रहा है और राज्य में डेंगू रोग को Notifiable Disease घोषित करने की अधिसूचना “उत्तराखण्ड महामारी (मलेरिया एवं डेगू) विनियम 2019” को 27 सितम्बर 2021 को जारी की जा चुकी है। इसी क्रम में जुलाई से नवम्बर तक का समय, डेंगू वायरस के संक्रमण के लिये अनुकूल होता है। लिहाजा डेंगू रोग के रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए तमाम दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
डेंगू रोग से बचाव एवं नियंत्रण के लिए जारी दिशानिर्देश……
– डेंगू रोग की समुचित रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए सभी विभागों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होती है। समस्त विभागों द्वारा डेंगू रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियां समयान्तर्गत की जायें ताकि डेंगू के मच्छर को पनपने से रोका जा सकें।
– डेंगू रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागों जैसे नगर निगम, शिक्षा विभाग, ग्राम्य एवं शहरी विकास, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग लोक निर्माण, जल संस्थान, जल निगम आदि के सहयोग व अंतर्विभागीय समन्वय हेतु जनपद स्तर पर बैठकों का समय से आयोजन किया जाए व डेंगू नियन्त्रण में सभी विभागों द्वारा समन्वय से कार्यवाही की जाये।
– डेंगू रोग की समुचित रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु ब्लाक स्तरीय माइक्रोप्लान तैयार कर समयार्न्तगत समस्त कार्यवाहियां की जायें एवं निरन्तर मूल्यान्कन एवं अनुश्रवण किया जाये।
– डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए समस्त विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने एवं प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों और पर्वतीय क्षेत्रों के घाटी क्षेत्रों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जाये।
– प्रत्येक स्तर पर “डेंगू स्वच्छता पखवाड़ा मनाया जाये एवं समस्त राजकीय / निजी संस्थानों, परिसरों को डेंगू मुक्त रखा जाये। शहरी विकास विभाग, वार्ड पार्षदों एवं ग्रामीण विकास विभाग, पंचायती राज व ग्राम प्रधानों / ग्राम पंचायतों एवं जनप्रतिनिधियों आदि के माध्यम से निरन्तर स्वच्छता अभियान चलाया जाये एवं डेंगू की रोकथाम एवं जनजागरूकता में संहयोग लिया जाये। मलिन बस्तियों में डेंगू लार्वा पनपने की अत्यधिक संभावना के चलते ऐसे स्थानों में विशेष सफाई अभियान चलाया जाये।
– स्कूल परिसर में डेंगू मच्छरों के पनपने के स्थानों की पहचान कर निस्तारण किया जाये एवं स्कूल परिसर में निरन्तर साफ-सफाई की जाये एवं मच्छरों के पनपने के सम्भावित स्थानों जैसे ओवरहेड पानी की टंकियों को ढक कर रखा जाये। गमले ठोस कबाड, कृत्रिम पात्र कूलर इत्यादि में जमा पानी को निरन्तर साफ किया जाये। स्कूल के सभी कमरों के दरवाजे और खिड़कियों में जाली लगी हों।
– डेंगू रोग पर नियंत्रण हेतु लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन) एक कारगर व उपयुक्त उपाय है, जिसके लिए नगर निगम / नगर पालिका, आशा कार्यकत्री, ग्राम प्रहरी व अन्य विभागों के सहयोग से टीमें बनाकर क्षेत्र में कार्यवाही की जाए।
– समस्त जनपद डेंगू की जांच के लिए एलाइजा मशीन एवं जांच किट की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
– समस्त जनपदों के चिकित्सालयों में पृथक डेंगू आईसोलेशन वार्ड तैयार कर मच्छरदानी युक्त पर्याप्त बेड व औषधियों की उपलब्धता एवं मानकानुसार उपचार सुनिश्चित किया जाये एवं डेंगू आइसोलेशन वार्ड के लिए नोडल अधिकारी नामित किया जाए।
– डेंगू रोगियों की शुरूआती चरण में पहचान हेतु फीवर सर्वे किये जाये, लक्षणों के आधार पर डेंगू रोग की संदिग्धता होने पर जांच की जाए।
– डेंगू रोगी पाये जाने की स्थिति में रोगी के घर के आस-पास लगभग 50 घरों की परिधि में आवश्यक रूप से Space / Focal Spray कराने के साथ साथ जनपद स्तर पर गठित रैपिड रिस्पान्स टीम (आर०आर०टी०) द्वारा क्षेत्र में सघन फीवर सर्विलेन्स एवं लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन) कराया जाये। डेंगू रोग को महामारी का रूप लेने से रोकने के लिए आवश्यकतानुसार फॉगिग की जाए।
– डेंगू रोगियों के समुचित प्रबन्धन हेतु अपने जनपद में चिकित्सा केन्द्रों को पूर्ण रूप से कार्यशील रखें व उनमें पर्याप्त स्वास्थ्य मानव संसाधन जैसे चिकित्सक, नर्स आदि की व्यवस्था सुनिश्चित रखें।
– डेंगू पीडित गम्भीर रोगियों (DHF / DSS) हेतु ब्लड बैंकों में प्लेटलेट की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये।
– डेंगू के उपचार एवं नियंत्रण हेतु भारत सरकार की गाईडलाइन “National Guidelines for Clinical Management of Dengue fever” को समस्त राजकीय एवं निजी चिकित्सालायों / चिकित्सकों को आवश्यक कार्यवाहियों हेतु उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए।
– स्वास्थ्य विभाग व आई०एम०ए० प्रतिनिधियों / निजी चिकित्सालयों/ पैथोलोजी लैबों के मध्य समन्वय बैठक (CME Meeting/Workshop) की जाये ताकि आमजन में डेंगू रोग के प्रति व्याप्त भ्रान्ति / भय को दूर किया जा सके।
– मीडिया को डेंगू सम्बन्धित जानकारी सम्बोधित करने हेतु जनपद स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के किसी एक अधिकारी को Media Spokes person अधिकृत किया जाए।
– जनमानस को डेंगू सम्बन्धित जागरूकता एवं समुचित जानकारी प्रदान करने के जनपद स्तर पर डेंगू के संक्रमण काल के दौरान कन्ट्रोल रूम स्थापित कर उक्त दूरभाष न० से राज्य एन०वी०बी०डी०सी०पी० यूनिट को अवगत कराया जाये।
– डेंगू रोग की रोकथाम के लिए आम जनमानस का सहयोग अत्यन्त आवश्यक है व जन जागरूकता ही एक कारगर उपाय है। अतः जनजागरूकता व जनसहभागिता हेतु समुचित आई०ई०सी० संसाधनो जैसे होर्डिंग, पोस्टर जागरूकता अभियान, रैली, एफएम, आकाशवाणी और दूरदर्शन आदि एवं प्रेस रिलीज आदि का व समयान्तर्गत उपयोग किया जाए।