राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने शुक्रवार को वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, देहरादून के छठे दीक्षान्त समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम से पूर्व राज्यपाल ने विश्वविद्यालय प्रांगण में शहीदों की स्मृति में बनी ‘वाल ऑफ हिरोज’ पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। दीक्षान्त समारोह में उपस्थित छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने सभी मेडल और डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों को बधाई व शुभकामनाएं दी।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के आदर्श वीर माधो सिंह भण्डारी हैं जो हम सबके लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उनकी महान वीरता, तकनीकी कुशलता, दृढ़ संकल्प और कुशलता को हम आज भी याद करते हैं। उन्होंने तकनीकी क्षेत्र के युवाओं, विद्धानों, शिक्षण संस्थानों और नेतृत्वकर्ताओं से अतीत के समृद्धशाली इतिहास को सामने लाने का आग्रह किया। राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखण्ड के विकास का संकल्प लेकर हमें तकनीकी के बल पर कार्य करना होगा। यहाँ की जल विद्युत परियोजनाएं, ऑर्गेनिक खेती, पयर्टन, तीर्थाटन, साहसिक गतिविधियों के साथ-साथ हर क्षेत्र में विकास की कहानी लिखते हुए इस धरती को हरियाली, खुशहाली और समृद्धि की ओर ले जाना होगा।
उन्होंने कहा कि तकनीकी व रिसर्च एक साथ मिलकर राष्ट्र के भविष्य को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी पुरातन सभ्यता, संस्कृति, आयुर्वेद, योगा को कदापि नहीं भूलना चाहिए, यह उत्तराखण्ड की अलग पहचान है जो हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखती है। संस्कृति, सभ्यता के साथ जुड़कर नई तकनीकी को अपनाना है। राज्यपाल ने उपस्थित विद्यार्थियों से कहा कि आपको भारत और उत्तराखण्ड ही नहीं अपितु विदेशों में भी रोजगार सृजन की दिशा में कार्य करें। उन्होंने कहा कि आप लोगों के बल पर भारत को विश्व गुरू बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि आज के समय में तकनीकी निरंतर बदल रही है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स, मशीन लर्निंग, ड्रोन टैक्नालॉजी, डेटा सांइस व वेदर प्रिडेक्टिव मैनेजमेंट जैसी तकनीकी संसाधनों से हिमालयी जैव विविद्यता, औषधीय उत्पादन, प्राकृतिक संसाधनों को बढ़ाने के नये रास्ते खोजने होंगे।उन्होंने सभी उपाधि धारकों को उत्तराखण्ड राज्य के विकास व जनमानस के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में सहयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने डिग्री एवं उपाधि धारकों से कहा कि अपने ज्ञान एवं कौशल के बल पर, अपने उत्कृष्ट कार्यों एवं समर्पण से भारत को आत्मनिर्भर बनाने और उत्तराखण्ड के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायें।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने तकनीकी क्षेत्र से जुड़े युवाओं एवं तकनीकी विशेषज्ञों को रक्षा क्षेत्र में उनकी समस्याओं के निवारण के लिए आर्मी डिजाइन ब्यूरो के साथ एक समझौता पत्र हस्ताक्षरित किया है जो देश का प्रथम राज्य विश्वविद्यालय है जिसने यह एम.ओ.यू साइन किया है। वहीं ऑनलाइन परीक्षाओं को संपादित करने में भी विश्वविद्यालय ने अच्छा प्रयोग किया है। राज्यपाल ने कहा कि आज विश्व भारत की ओर देख रहा है। कोविड के बाद भारत ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के दम पर दुनिया को नेतृत्व की क्षमता का परिचय करवाया है। उन्होंने कहा कि मा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि 21वीं सदी उत्तराखण्ड की होगी। इसके लिए हमें नित नये अनुसंधान एवं तकनीकी के बल पर प्रधानमंत्री के शब्दों को सार्थक बनाना होगा।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को दीक्षांत समारोह की सफलता की बधाई दी। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल द्वारा 308 शोधार्थियों को पी.एच.डी उपाधि व 66 विद्यार्थियों को गोल्ड़ मेडल प्रदान किए। राज्यपाल ने कहा कि उन्हें इस बात पर हर्ष है कि उपाधि एवं मेडल प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं में छात्राओं की संख्या अधिक है जो महिला शक्ति को दर्शाता है। इस दौरान उपस्थित तकनीकी शिक्षा में श्री सुबोध उनियाल ने पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि वर्तमान में रोजगार के कम अवसर हैं।
आपको स्वरोजगार अपनाकर उद्यमी बनना है। उन्होंने उपस्थित डिग्री एवं उपाधि धारकों से कहा कि उपाधि प्राप्त करके रोजगार तलाशने की पंक्ति में खड़े न हो अपितु स्वयं रोजगार देने वाले इंजीनियर साबित हों। स्वरोजगार तथा अपने उद्योग साबित करने हेतु स्टार्ट अप के माध्यम से हर संभव सहयोग के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से प्रदेश की आर्थिकी एवं स्वरोजगार में सहयोग का आग्रह किया। इस अवसर पर सचिव तकनीकी शिक्षा रविनाथ रामन ने सभी उपाधि एवं पदक धारकों को बधाई देते हुए कहा कि कुशल इंजीनियर बनकर देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अभूतपूर्व सेवा दें। उन्होंने आशा वयक्त की कि सभी विद्यार्थी पूर्ण मनोयोग से कार्य करते हुए एक सम्पूर्ण, सुरक्षित और विकसित राष्ट्र की कल्पना को साकार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे।