नहीं रहे आयुर्वेद और जड़ी बूटी के ख्याति प्राप्त शिक्षाविद एवं वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेंद्र पांडे, ऋषिकेश एम्स में ली अंतिम सांस

आयुर्वेद जड़ी बूटी के जाने-माने विशेषज्ञ डॉ ज्ञानेंद्र पांडे ने आज लंबी बीमारी के बाद ऋषिकेश एम्स में अंतिम सांस ली हरिद्वार के रहने वाले ज्ञानेंद्र पांडे आयुर्वेद और जड़ी बूटी की किताबों को लिखने में उनको महारत हासिल थी राष्ट्रपति से लेकर देश की कई बड़ी हस्तियों ने कई बार उनकी किताबों का विमोचन भी किया ज्ञानेंद्र पांडे अपने जीवन में 75 से अधिक आयुर्वेद और जड़ी बूटी पर किताबें लिख कर गए हैं उनकी किताबें आज देश के कई बड़े संस्थानों में छात्रों को पढ़ाई भी जा रही हैं ज्ञानेंद्र पांडे आयुर्वेद अनुसंधान एवं आयुर्वेद शिक्षा में लगभग 40 वर्षों तक कार्य किया।

सीसीआरएस आयुष में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर भी रहे भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के लिए उन्होंने कई रिसर्च प्रोजेक्ट दीजिए और यही कारण है कि आयुर्वेद शिक्षा में अभूतपूर्व कार्य करने के लिए उन्हें गुजरात में आयुर्वेद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एमेरिटस की उपाधि से भी उन्हें नवाजा गया था उनका जन्म 20 जनवरी 1943 में उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था हरिद्वार गुरुकुल कांगड़ी के वह पूर्व के छात्र भी रहे हैं उन्हें आयुर्वेदिक जड़ी बूटी का पितामह भी कहा जाता था।

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