जिस परिकल्पना को लेकर उठी थी पहाड़ी राज्य बनाने की मांग, क्या उसके अनुरूप हो पाया काम! 

उत्तराखंड राज्य बने दो दशक से अधिक का वक्त बीत गया है। हालांकि, इस दौरान प्रदेश में विकास कार्य तो किए गए, लेकिन जिस परिकल्पना के साथ एक अलग पहाड़ी राज्य बनाया गया था, वो परिकल्पना अभी तक साकार नहीं हो पाई है। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही दो राजनीतिक दल ही सत्ता पर बारी-बारी से काबिज़ रही है, दोनों ही पार्टियों ने अपने अपने तरीके से राज्य के विकास को गति दी। लेकिन जिस परिकल्पना और सपने के साथ पहाड़ी राज्य की मांग की गई थी वह अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। यही नहीं, समय-समय पर राज्य के नेता शहीद स्थल पहुंचकर नमन करते है लेकिन राज्य गठन के परिकल्पना भूल ही गए है। आखिर क्या है राज्य गठन के परिकल्पनाओं की स्थिति, किस परिकल्पना के साथ अलग पहाड़ी राज्य की उठी थी मांग?

लंबे संघर्ष और आंदोलन के बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग पहाड़ी राज्य का गठन हुआ। इस पर्वतीय क्षेत्र का अलग राज्य के रूप में पर्वतीय क्षेत्रों के चहुमुखी विकास और मुख्य रूप से युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया था। बावजूद इसके जिस अवधारणा को लेकर राज्य का गठन हुआ था, वह मानो गुम हो गया हो। हालांकि राज्य गठन के बाद से उत्तराखंड राज्य में विकास कार्य तो हुए लेकिन मुख्य रूप से जिस परिकल्पना के साथ पृथक राज्य की मांग की गई थी। वह परिकल्पना अभी भी पूरी नहीं हो पाई है। 

वहीं, इस पूरी स्थिति पर वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि एक अलग पहाड़ी राज्य बनाने की मांग रोजगार को लेकर थी। ताकि जो यहाँ के युवा है उसको रोजगार मिल सके। लेकिन वर्तमान हालात इस बात को बयां कर रहे हैं कि नेता उस बात को भूल चुके हैं। हालांकि, यह सच है कि सरकारी सेक्टर में नौकरियों सीमित है लेकिन सरकारी नौकरी से ही नहीं बल्कि स्वरोजगार के जरिए भी युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। लेकिन उस दिशा में कुछ खास काम नहीं किया गया। बल्कि इससे उलट एक अलग परंपरा शुरू हो गई जिसके अनुसार सभी नेताओं का ध्यान खनन समेत अन्य चीजों में देखा जाता है। जिस वजह से राज्य गठन के बाद भी बार-बार आंदोलन होते रहे हैं। 

शहीद स्थल पर पहुंचकर नमन करना सिर्फ एक दिखावा…… 

वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने कहा कि जिस सपनों का उत्तराखंड कहा जाता था वह सपने अभी अधूरे हैं। और वह कब तक पूरे होंगे यह कोई नहीं कह सकता लेकिन जब भी विधानसभा चुनाव नजदीक आता है उस दौरान चुनाव घोषणापत्र में पार्टियां लोक- लुभावने वादे करती है। लेकिन सत्ता पर काबिज होने के बाद अपने वादों को भूल जाते हैं। साथ ही कहा कि शहीद स्थल पर पहुंचकर नेता नमन तो करते हैं लेकिन यह नमन सिर्फ एक दिखावा होता है। क्योंकि वह इससे एक संदेश देना चाहते हैं कि वह राज्य के हितैषी हैं। लेकिन जिस परिकल्पना के अनुरूप अलग राज्य की मांग की गई थी उसके तहत काम किया जाता है तो वास्तव में शहीदों को एक अच्छी श्रद्धांजलि होगी। 

नहीं हो पाया है आंदोलनकारियों का सपना पूरा…….. 

वहीं, राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने बताया कि जिस परिकल्पना को लेकर पृथक उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए शहादत दी गई थी। उस परिकल्पना के अनुरूप अभी तक कोई काम नहीं हो पाया है। यही नहीं, अभी तक उत्तराखंड राज्य की स्थाई राजस्थानी तक नहीं बनाई जा सकी है। राज्य के कुछ नेता और ब्यूरोक्रेसी ने मिलकर प्रदेश का बंटाधार कर दिया है। राज्य के युवाओं को रोजगार मिल पा रहा है ना ही उन्हें स्वरोजगार उपलब्ध हो पाया है। जिस उद्देश्य से पर्वतीय राज्य का गठन किया गया था वह उद्देश्य इन 20 सालों में पूरा नहीं हो पाया है। 

राज्य गठन के लिए 42 लोगो ने दी शहादत……..

साथ ही कहा कि राज्य गठन के लिए 42 लोगों ने अपनी शहादत दी थी। उन्हें अभी तक न्याय नहीं दिला जा सका है। प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियों भाजपा और कांग्रेस अपनी संगठन को मजबूत करने में जुटी हुई है लेकिन जिनके शहादत की वजह से राज्य की कल्पना हुई उनके लिए कभी भी इन दोनों पार्टियों ने न्याय यात्रा नहीं निकाली। यही नहीं, मुजफ्फरनगर कांड को करीब 27 साल से अधिक का समय बीत गया है लेकिन उसमें शहीद हुए शहीदों को न्याय नहीं मिल पाया है। 

शहीद स्थल का निर्माण भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में है शामिल…………. 

तो वही, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नवीन चौहान ने बताया कि राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड बनाने का काम भाजपा ने किया है। और उनका जो एक बड़ा सपना गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का था, उसके अनुरूप गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया। यही नहीं, भाजपा ने सिर्फ उत्तराखंड राज्य को उत्तर प्रदेश से पृथक नहीं किया बल्कि राज्य को सजाने, सवारने और विकास के पथ पर आगे ले जाने का भी काम किया है। साथ ही कहा कि प्रगति क्षेत्रों में होने वाले विकास कार्य में समय लगेगा। साथ ही कहा कि शहीद स्थल का निर्माण भी भाजपा करेगी। क्योंकि शहीद स्थल का निर्माण भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में शामिल है। 

कांग्रेस ने राज्य आंदोलनकारियों की इच्छाओं को किया है पूरा……….. 

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता डॉ प्रतिमा सिंह ने बताया कि पहाड़ी राज्य बनाने में राज्य आंदोलनकारियों का एक अहम योगदान रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए जब-जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही है, राज्य आंदोलनकारियों के हर मांगों को पूरा करने की कोशिश की है। साथ ही कहा कि आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में काबिज होगी और राज्य आंदोलनकारियों के समस्याओं का समाधान प्रमुखता से करेगी। साथ ही कहा कि देहरादून स्थित शहीद स्थल की स्थिति पहले काफी दयनीय थी जिससे व्यवस्थित कांग्रेस सरकार ने ही किया है। लेकिन जब से भाजपा की सरकार आयी है तब से राज्य आंदोलनकारियों के लिए कुछ भी नहीं किया गया। साथ ही कहा कि कांग्रेस पार्टी कभी भी इस पक्ष में नहीं रही है कि शहीदों को मात्र नमन करने से राज्य आंदोलनकारियों की इच्छाओं को पूरा किया जा सकता है। ऐसे में शहीदों को नमन करने के साथ ही राज्य आंदोलनकारियों की इच्छाओं को पूरा भी किया जाएगा। 

राज्य गठन के परिकल्पना को आगे लेकर बढ़ेगी आप……….. 

तो वही, आम आदमी पार्टी से मुख्यमंत्री उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि 20 साल पहले लोगों ने इस पर्वतीय क्षेत्र के विकास और निर्माण के लिए एक अलग राज्य बनाने का आंदोलन किया था ऐसे में आम आदमी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में आंदोलनकारियों के मुद्दे को लेकर आगे बढ़ेगी।

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