आगामी साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राजनीतिक दल दमखम से तैयारियों में जुटी हुई है। जहां एक और कांग्रेस पार्टी को अपने वर्चस्व को बरकरार रखने की लड़ाई लड़नी है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा को साल 2017 में मिले भारी बहुमत को बरकरार रखने की एक बड़ी चुनौती है। जिसे देखते हुए दोनों ही दल अपनी रणनीतियों को धार देने में जुटे हुए हैं। ऐसे में भाजपा संगठन ने आगामी विधानसभा चुनाव को एक बार फिर फतह करने के लिए प्रदेश की कुछ विधानसभा सीटों पर बाहर के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देने की रणनीति तैयार की है।
दरअसल, उत्तराखंड में भाजपा साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से ही विजय रथ पर सवार है। क्योकि इस लोकसभा चुनाव में पार्टी ने प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 70 में से 57 सीटें जीतकर इतिहास रचा था। क्योंकि राज्य गठन के बाद से अभी तक किसी भी दल को इतना बड़ा बहुमत प्राप्त नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त प्रदेश की कुछ विधानसभा सीटें ऐसी भी रही, जिसमें भाजपा को काफी कम अंतर में हार मिली। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने शहरी व ग्रामीण निकाय और सहकारिता के चुनावों में भी परचम फहराया था।
इसके बाद साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ यानी साल 2014 की तरह है भाजपा पांच और लोकसभा सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखने में कामयाब हुई। ऐसे में अब भाजपा के लिए दोहरी चुनौती यह है कि साल 2017 की तरह है साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को दोहरा सके। जिसको देखते हुए भाजपा संगठन लगातार अपनी रणनीतियों को धार देने में जुटी हुई है। इसके लिए भाजपा संगठन में एक रणनीति तैयार की है जिसके तहत साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों का अध्ययन कर रही है।
जिसके बाद विधानसभाओं को श्रेणीबद्ध करते हुए कुछ विधानसभा सीटों पर बाहर से इंचार्ज नियुक्त किए जाएंगे। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के अनुसार विधानसभा सीटों पर बाहर से भी प्रभारी नियुक्त किए जा सकते हैं, ताकि चुनावी रणनीति में कहीं कोई कमीबेशी न रहे।