वाहनों के फर्जी बीमा का मकड़जाल, एसटीएफ को मिली बड़ी कामयाबी, चार आरोपी गिरफ्तार

देश भर में ऑनलाइन फ्रॉड के मामले बढ़ते जा रहे है। इसी क्रम में उत्तराखंड एसटीएफ ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो वाहनों का ऑनलाइन बीमा करके लोगों को गुमराह करने के साथ ही राजस्व को चूना लगा रहे थे। उत्तराखंड एसटीएफ ने मंगलवार को पूरे मामले का खुलासा किया। एसटीएफ ने बताया कि उन्हें कुछ समय से सूचनाएं मिल रही थी कि देहरादून में चार पहिया कमर्शियल वाहन और दिल्ली-मुंबई जैसे अन्य राज्यों शहरों से आने वाले बड़े ट्रांसपोर्टर वाहनों का बीमा काफी सस्ते दामों पर किया जा रहा है।

सबसे चौंकाने वाली बात ऑनलाइन आरटीओ की वेबसाइट या किसी भी पोर्टल पर चेक करने पर वह बीमा सही प्रदर्शित होता है। लेकिन देहरादून आरटीओ की वेबसाइट पर बीमा कंपनी ने कई वाहनों की जानकारी पूरी नहीं डाली थी, जिस पर एसटीएफ को संदेह हुआ। मामले की तह तक जाने के लिए उत्तराखंड एसटीएफ ने सस्ता ऑनलाइन बीमा करने वाले चार एजेंटों को हिरासत में लिया। उनसे पूछताछ शुरू की। पहले तो वे एसटीएफ को गुमराह करते रहे, लेकिन एसटीएफ ने सख्ती दिखाई तो उन्होंने पूरे खेल से पर्दा उठाया। उत्तराखंड एसटीएफ ने इस गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। जिनसे पूछताछ जारी है। 

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि 2018 के बाद सभी कंपनियों ने ऑनलाइन इंश्योरेंस की सुविधा देनी शुरू कर दी थी। इसके लिए पेटीएम, फोनपे और पॉलिसी बाजार में ऑनलाइन बीमा कराने के विज्ञापन देने शुरू कर दिए, जिसमें ग्राहक और एजेंटों की ओर से ऑनलाइन वाहनों का बीमा कराया जाता है। एसटीएफ के मुताबिक आरोपियों ने दो साल पहले कई बीमा कंपनियों का एजेंट बनकर अपना रजिस्ट्रेशन कराया और उसी रजिस्ट्रेशन नंबर से बीमा करते थे। बीमा कराने के दौरान चार पहिया वाहन का नंबर वास्तविक दिया जाता था, लेकिन पेमेंट की कैलकुलेशन के समय दो पहिया वाहन का चयन कर उसका बीमा दो पहिया वाहन का किया जाता है।

जिसका डाटा बीमा कराने वाली कम्पनी के डाटाबेस में चार पहिया का अकिंत होता है लेकिन पेमेंट दो पहिया वाहन का जमा होता है। बीमा के समय दी जाने वाली जीएसटी 18 प्रतिशत जहां चार पहिया वाहन की 20,000 पर दी जानी थी। वहीं, दो पहियां वाहन की मात्र 500 रुपये की जमा होती है. आरटीओ की वेबसाइट पर मात्र बीमा होना प्रदर्शित करता है। एजेंट इसका प्रिंट निकाल कर लैपटॉप में फोटोशॉप के माध्यम से एडिट करके चार पहिया वाहन व धनराशि को बढ़ा देता है, जिसको वह अपने कस्टमर को देता है। आरोपियों की चोरी इसीलिए पकड़ में नहीं आती थी, क्योंकि वाहन स्वामी को आरटीओ की वेबसाइट पर वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर और केवल इंश्योरेंस की वैलिडिटी तिथि प्रदर्षित होती है, जिससे ग्राहक को वह असली लगता है।  उसे पता ही नहीं चलता था कि उसके साथ धोखा हुआ है।

एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि इस गिरोह का नेटवर्क पूरे देश में फैला हो सकता है। देश में इस तरह के एजेंट बैठे हैं, जो सरकारी राजस्व को चूना लगाने के साथ लोगों की जेब में डाका डाल रहे हैं। इस मामले में इंश्योरेंस कंपनियों की भी मिलीभगत सामने आई है. हालांकि इस पूरे मामले की तह तक जाने के लिए अभी मामले की जांच पड़ताल जारी है। एक अनुमान के मुताबिक आरोपी अभी तक परिवहन विभाग को करोड़ों रुपए चूना लगा चुके हैं। एसटीएफ परिवहन विभाग और संबंधित कंपनियों के साथ जानकारी साझा कर इस मामले की जांच में लगी हुई है। एसटीएफ की गिरफ्त में आए चारों एजेंटों के नाम प्रदीप गुप्ता, मंसूर हसन और महमूद निवासी देहरादून हैं। जबकि चौथा आरोपी नीरज कुमार यूपी के सहारनपुर जिले का रहने वाला है।

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