डर क्या होता है कोई इन गांव वालों से पूछे– दो बूंद बारिश गिरी और इन्होंने छोड़ दिया गाँव

बीते कुछ महीने पहले उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गांव में तबाही का जो मंजर आस-पास के गांव ने देखा वह आज भी उनके जेहन में काबिज है आलम यह है कि जरा सी बारिश उन्हें डरा देती है यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि कहीं कोई बड़ी आपदा इस बार उनके गांव को भी ना लील जाए। मंगलवार को उत्तराखंड में उत्तरकाशी रुद्रप्रयाग और चमोली डिस्ट्रिक्ट में हुई जरा सी बारिश ने रैणी गांव के लोगों को एक बार फिर से डरा दिया है।

आलम यह था कि जब हल्की बारिश में ऋषि गंगा नदी का बहाव तेज हुआ और खबरें यह आई कि कहीं बादल फट गया है तो सभी गांव के लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने के लिए जद्दोजहद करने लगे खड़ी पहाड़ी पर बसा ये गांव वैसे ही भौगोलिक स्थिति से बेहद कठिन है लिहाजा ऐसे समय में हल्की सी बारिश ने यहां के बाशिंदों को और डरा दिया। बारिश की बूंदों ने जैसे ही इस गांव का रुख किया वैसे ही इस गांव के लोग ऊपर पहाड़ियों पर बड़े-बड़े पत्थरों के नीचे अपने परिवार को लेकर पहुंच गए हैं छोटे-छोटे बच्चे के साथ जरूर समान वह इसलिए लेकर पहुंचे हैं।

ताकि कल के दिन अगर बारिश लगातार होती रही तो वो इन पत्थरो के नीचे ही रह कर कुछ दिन गुजार सकते हैं हालांकि चमोली जिले में इस जगह पर कोई भी आपदा या बादल फटने की घटना अभी तक इस मौसम में सामने नहीं आई है जो रैणी गांव को प्रभावित करें लेकिन बीते दिनों जो कुछ भी इस जिले के गांव ने देखा है वह सब कुछ जरा से मौसम बिगड़ने के बाद इनकी आंखों के सामने आ जाता है अब सवाल यह है कि क्या गांव के सभी लोगों को सुरक्षित स्थान पर बसाया जाना ही सबसे सुरक्षित रास्ता होगा या ये गांव वाले इसी तरह डर के साए में जीने को मजबूर रहेंगे।

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