उत्तराखंड में गंगोत्री नाम से बनी विधानसभा सीट का 70 सालो का मैजिक, क्या रहेगा बरकरार?

उत्तराखंड राज्य में आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में महज कुछ महीनों का ही वक्त बचा है ऐसे में जहां एक और राजनीतिक दल दमखम से तैयारियों में जुटी हुई है। तो वहीं, चुनाव से पहले तमाम तरह के मिथक भी सामने आने शुरू हो गए हैं। इसी क्रम में उत्तरकाशी के गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा एक मिथक सामने आया है। हालांकि, यह मिथक इस तरह का है कि उत्तरकाशी के गंगोत्री विधानसभा सीट से जिस भी पार्टी का प्रत्याशी चुनाव जीतता है वो पार्टी सत्ता पर काबिज होती है।

सनातन धर्म में गंगा को एक विशेष महत्व दिया गया है। यही वजह है कि गंगोत्री धाम से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। जहां एक और गंगोत्री धाम करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। तो वहीं, गंगोत्री विधानसभा सीट, प्रदेश की राजनीति में एक अहम भूमिका भी निभाती आ रही है। क्योंकि देश की आजादी के बाद से ही एक ऐसा संयोग बनता रहा है कि जिस भी पार्टी का प्रत्याशी विधानसभा सीट से चुनाव जीतता है, उसी प्रत्याशी की पार्टी सत्ता पर काबिज होती है। लिहाजा विधानसभा चुनाव से पहले यह मिथक राजनीतिक गलियारों में सुनाई देने लग जाता है। 

गंगोत्री सीट से जुदा मिथक 70 साल से है बरक़रार

गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़ा इस मिथक को एक मात्र संयोग कहें या कुछ और लेकिन यह सच है कि देश के आजाद होने के बाद देश में हुई पहली विधानसभा चुनाव से ही इस मिथक की शुरुआत हुई थी जो आज तक नहीं टूटी हैं। हालांकि इस बात को करीब 70 साल हो गए हैं तब से ही यह मिथक बरकरार है। हालांकि, उत्तराखंड राज्य गठन से पहले गंगोत्री विधानसभा सीट ना होकर उत्तरकाशी विधानसभा सीट हुआ करती थी। उस दौरान भी यह मिथक बरकरार रहा था, और इस मिथक के बरकरार होने का सिलसिला अभी भी जारी है। 

1993 में हुए चुनाव ने इस मिथक को दिया और बल

गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़े मिथक को उत्तर प्रदेश में साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव की स्थिति और बल दे रही है। क्योंकि 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के 177, समाजवादी पार्टी को 109 और बहुजन समाजवादी पार्टी को 67 सीटें मिली थी। और उस दौरान राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसे घूमे कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने मिलकर सरकार बना दी। और उस दौरान समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता पर काबिज हो गई। और खास बात यह रही कि उस दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के ही प्रत्याशी बर्फिया लाल चुनाव जीते थे। 

गंगोत्री विधानसभा सीट की स्थिति

टिहरी रियासत का हिस्सा रहे उत्तरकाशी विधानसभा सीट को साल 1960 में अलग जिला बनाया गया। लेकिन साल 2000 तक उत्तरकाशी जिला, विधानसभा सीट ही रही। लेकिन साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर एक पहाड़ी राज्य बनने के बाद, उत्तरकाशी जिले को तीन विधानसभा क्षेत्र में बांट दिया गया। जिसमें पुरोला गंगोत्री और यमुनोत्री विधानसभा सीट शामिल है। उत्तरकाशी जिले का मुख्यालय गंगोत्री क्षेत्र ही है। गंगोत्री विधानसभा सीट कुल मतदाताओं में से 43003 पुरुष मतदाता हैं तो महिला मतदाताओं की संख्या 40278 है। तो वही, जातिगत आधार के अनुसार इस विधानसभा में ठाकुर 62% और ब्राह्मण 17% हैं. जबकि अनुसूचित जाति 19% और अनुसूचित जनजाति 15% है। इसके साथ ही यहाँ मुस्लिम आबादी 0.5 फीसदी है। 

गंगोत्री विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की पकड़ है मजबूत

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही गंगोत्री विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस से दो ही नेताओं की बड़ी पकड़ रही है जिसमें कांग्रेस पार्टी से विजयपाल सजवाण और भाजपा से गोपाल सिंह रावत। क्योंकि यही दोनों नेता बारी-बारी से गंगोत्री विधानसभा सीट से विधायक बनते रहे हैं। लेकिन साल 2021 में अस्वस्थ होने के चलते गंगोत्री विधानसभा सीट से विधायक गोपाल सिंह रावत का निधन हो गया जिसके बाद से ही यह विधानसभा सीट खाली चल रही है। हालांकि, वर्तमान समय में गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र में सबसे मजबूत नेता विजयपाल सजवाण ही माने जा रहे हैं। 

गंगोत्री विधानसभा सीट से राजनीतिक दलों के प्रत्याशी लगभग तय

गंगोत्री विधानसभा सीट से प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस विजयपाल सजवाण को ही अपना उम्मीदवार घोषित करने जा रही है। क्योंकि कांग्रेस की ओर से गंगोत्री विधानसभा सीट पर कोई और चेहरा नहीं है। तो, वही भाजपा की ओर से इस सीट पर गोपाल सिंह रावत की पत्नी को उम्मीदवार बनाया जा सकता है ताकि भाजपा  सिंपैथी वोट भी हासिल कर सके। यही नहीं, प्रदेश में थर्ड फ्रंट के रूप में उभर रही आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल भी गंगोत्री विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। हालांकि, अभी फिलहाल किसी भी पार्टी ने उम्मीदवारों के नाम पर आधिकारिक मुहर नहीं लगाई है। लेकिन चर्चाएं फिलहाल यही है कि इन्हीं नेताओं को इस विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया जाएगा। 

पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, गंगोत्री विधानसभा सीट से लड़ने वाले थे चुनाव

साल 2021 में नेतृत्व परिवर्तन के बाद सत्ता पर काबिज हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए विधानसभा का चुनाव लड़ना जरूरी था। क्योंकि तीरथ सिंह रावत लोकसभा सांसद है। ऐसे में गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद हाल ही विधानसभा सीट से तीरथ सिंह रावत को चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही थी। यही नहीं, भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को चुनाव लड़ाने के लिए यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र में सर्वे भी करा दिए थे। लेकिन संवैधानिक संकट के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को इस्तीफा देना पड़ा। 

गंगोत्री विधानसभा सीट से प्रदेश के लोगों की भावनाएं होती है परिलक्षित

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही राज्य में अभी तक 4 चुनाव हुए और चारों चुनाव में गंगोत्री विधानसभा सीट से जिस भी पार्टी के उम्मीदवार ने चुनाव जीता है वह पार्टी सत्ता पर काबिज हुई है। हालांकि, उत्तराखंड राज्य बनने के बाद, ऐसा नहीं हुआ है बल्कि उत्तर प्रदेश के समय से ही ऐसा देखा जाता रहा है। क्योंकि, उत्तर प्रदेश के समय गंगोत्री विधानसभा सीट न होकर के उत्तरकाशी विधानसभा सीट हुआ करती थी और उस दौरान भी ऐसे ही समीकरण बनते रहे हैं। ऐसे में इस बात को कहा जा सकता है कि उत्तराखंड के लोगों की जो भावनाएं हैं वह गंगोत्री विधानसभा सीट से परिलक्षित होती है। 

गंगोत्री विधानसभा सीट पर राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय

जहां एक और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी इस बात को मान रही है कि गंगोत्री विधानसभा सीट से जिस भी पार्टी का प्रत्याशी चुनाव जीता है वह पार्टी सत्ता पर काबिज होती है। तो वहीं भाजपा इस बात को मात्र एक संयोग बताते हुए यह कहती है कि जो पार्टी बहुमत हासिल करती है वह सत्ता पर काबिज होती है। कुल मिलाकर देखें तो भाजपा और कांग्रेस का गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़े इस मिथक पर अलग-अलग राय हैं। तो वही आम आदमी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल भी इस बात को मान रहे हैं कि अभी तक जो इतिहास रहा है उसके अनुसार यही देखा गया है कि इस सीट से जिस भी पार्टी का प्रत्याशी चुनाव जीता है वह सत्ता पर काबिज होता है। साथ ही भाजपा और कांग्रेस पर तंज कसते हुए कोठियाल ने कहा कि गंगा मां तो सरकारे बना रही है लेकिन यह सरकारें प्रदेश का बंटाधार करने में लगी हुई है। 

उत्तरकाशी विधानसभा सीट से सत्ता काबिज होने का इतिहास

– देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में 1952 में हुई पहली विधानसभा चुनाव के दौरान यह सीट गंगोत्री विधानसभा सीट नहीं बल्कि उत्तरकाशी विधानसभा सीट हुआ करती थी। 1952 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जयेंद्र सिंह बिष्ट निर्दलीय चुनाव जीते और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। उस दौरान उत्तर प्रदेश में पं. गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी। 

– साल 1957 के विधानसभा चुनाव में जयेंद्र निर्विरोध निर्वाचित हुए और फिर कांग्रेस ही सत्तासीन हुई। लेकिन साल 1958 में उत्तरकाशी से विधायक जयेंद्र की मृत्यु के बाद कांग्रेस के ही रामचंद्र उनियाल विधायक बने थे। 

– साल 1962 मे हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता था और उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। 

– साल 1967 मे हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता था और उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। 

– साल 1969 मे हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता था और उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। 

– साल 1974 मे हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट को रिजर्व कर दी गई। उस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था और उस दौरान उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। 

– साल 1977 मे हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जनता पार्टी से प्रत्याशी बर्फियां लाल ने चुनाव जीता था और उस दौरान उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी थी। 

– साल 1980 मे हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था और उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। 

– साल 1985 मे हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था और उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। 

– साल 1989 मे हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जनता पार्टी से प्रत्याशी बर्फियां लाल ने चुनाव जीता था और उस दौरान उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी थी। 

– साल 1991 मे हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी ज्ञान चंद्र ने चुनाव जीता था और उस दौरान उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी। 

– साल 1993 मे हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था और उस दौरान उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी। 

– साल 1996 मे हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी ज्ञान चंद्र ने चुनाव जीता था और उस दौरान उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी। 

गंगोत्री विधानसभा सीट से सत्ता काबिज होने का इतिहास

– 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद भी यह मिथक बरकरार रहा। ये बात अलग है कि उत्तरकाशी विधानसभा सीट का नाम बदलकर गंगोत्री विधानसभा सीट कर दिया गया। 

– उत्तराखंड में साल 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल सजवाण चुनाव जीता था उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। 

– साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता था, उस दौरान प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी। 

– साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल सजवाण चुनाव जीता था उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। 

– इसी तरह साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता था, लिहाजा प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी। 

– साल 2021 में विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद से यह विधानसभा सीट खाली चल रही है। 

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