उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्रो में क्यों आते है ज्यादा भूकंप, जानिए क्या है इसकी वजह?

उत्तराखंड राज्य के धारचूला क्षेत्र में समय-समय पर भूकंप के झटके महसूस होते रहे हैं। जिसे देखते हुए धारचूला क्षेत्र में आने वाले भूकंप को लेकर वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने शोध किया था। शोध के अनुसार उत्तर-पश्चिमी हिमालय के मुकाबले, कुमाऊं हिमालय में क्रस्ट लगभग 38-42 किमी मोटा है। जिसकी वजह से धारचूला क्षेत्र में भूकंप आते रहते हैं। इसकी जानकारी हासिल करने को लेकर वाडिया के वैज्ञानिक डॉ. देवजीत हजारिका के नेतृत्व में एक टीम ने धारचूला और कुमाऊं हिमालय के आसपास के क्षेत्र में 15 भूकंपीय स्टेशन स्थापित किए थे। जो उस क्षेत्र के भूमि की संरचना को मॉनिटर कर रही थी।

यही नही, भारत में पिछले 71 सालों के भीतर एक भी बड़ा भूकंप नहीं आया है जिसे वैज्ञानिक काफी चिंतित हैं। क्योंकि इंडियन प्लेट का मूवमेंट सदियों से वही है। बावजूद इसके 1897 से 1950 के बीच इन 53 सालों में देश में 4 बड़े भूकंप देखे गए थे। लेकिन 1950 के बाद से अभी तक कोई बड़ा भूकंप ना आने की वजह से वैज्ञानिक लगातार रिसर्च कर रहे हैं। रिसर्च इस बात की भी की जा रही है कि कहीं पृथ्वी के अंदर एक बड़ी एनर्जी एकत्र तो नहीं हो गई है यानी भविष्य में बड़ा भूकंप आने के आसार तो नहीं है?

वही ज्यादा जानकारी देते हुए वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भू-वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार का कहना है कि अर्थ की क्रस्ट को समझना बहुत मुश्किल है लेकिन धीरे-धीरे अर्थ की संरचना को समझने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, भूकंप की भविष्यवाणी करना अभी फिलहाल विश्व भर में संभव नहीं है। लेकिन इसकी स्थिति को समझने के लिए भूमि की संरचना की स्टडी करना बेहद आवश्यक है। यही वजह है कि वाडिया इंस्टीट्यूट ने उत्तराखंड राज्य सहित देश के कई संवेदनशील क्षेत्रों में 52 इंस्ट्रूमेंट लगाए हैं। जो एक्टिव है और सारा डाटा कलेक्ट कर रहे हैं।

सुशील कुमार बताते हैं कि बीते सालों में आए भूकंप से कितनी एनर्जी रिलीज हुई है और अभी पृथ्वी के अंदर कितनी एनर्जी बची हुई है इसका आकलन तो किया जा सकता है। लेकिन, यह कहना संभव नहीं है कि किसी क्षेत्र में अगर लगातार भूकंप आ रहे हैं तो वहां बड़ा भूकंप आने की संभावना है। साथ ही बताएं कि 1905 और 1934 के बाद कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि अभी तक एक बड़ी एनर्जी एकत्र हुई होगी और अगर एनर्जी एकत्र हुई होगी तो ऐसे में भविष्य में बड़ा भूकंप आने की संभावना है। 

वैज्ञानिक इस बात से हैरान है कि जब इंडियन प्लेट हर साल 20 से 50 मिलीमीटर तक मूव कर रहा है तो उससे उत्पन्न होने वाली एनर्जी, किसी न किसी माध्यम से रिलीज होगी। ऐसे में अब वो इस बात पर स्टडी कर रहे हैं कि साल 1897 से 1950 तक यानी इन 53 सालों में चार बड़े भूकंप देखे गए। जिसमें 1897 में असम, 1905 में कांगड़ा, 1934 में बिहार-नेपाल और 1950 में असम में 8 मेग्नीट्यूड से अधिक का भूकंप आया था। लेकिन 1950 के बाद 2021 यानी इन 71 सालों में एक भी बड़ा भूकंप नहीं आया है। ऐसे में एक संभावना यह भी है कि बड़ा भूकंप आ सकता है तो वही दूसरी ओर इस बात की भी संभावना है कि इन 71 सालों के भीतर स्लो भूकंप के माध्यम से एनर्जी रिलीज होती रही हो। 

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