विश्व हेपेटाइटिस दिवस – मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, ने वायरल हेपेटाइटिस पर फैलाई जागरूकता

भारत में हेपेटाइटिस अभी भी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। सभी श्रेणियों में से, हेपेटाइटिस बी अत्यधिक संक्रामक माना जाता है। भारत में 3 से 5% आबादी हेपेटाइटिस बी से जूझ रही है। विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर जागरूकता पैदा करने के लिए नैक्स अस्पताल, देहरादून के विशेषज्ञों ने आज मीडिया को संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ मयंक नौटियाल, सलाहकार और एचओडी लिवर ट्रांसप्लाट और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी, डॉ मयंक गुप्ता, सलाहकार गॅस्ट्रोएंटरोलॉजी और डॉ संदीप सिंह तंवर, सीनियर वाइस प्रेजिडेंट एवं यूनिट हेड, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, देहरादून उपस्थित थे।

मीडिया को संबोधित करते हुए, डॉ मयंक नौटियाल, सलाहकार और एचओडी- लिवर ट्रांसप्लांट और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी ने कहा, “हेपेटाइटिस लीवर की सूजन है। हेपेटाइटिस वायरस के पांच मुख्य प्रकार हैं- ए, बी, सी, डी और ई हेपेटाइटिस बी के लिए अब प्रभावी टीका उपलब्ध है। 13 में से 2 लोग नहीं जानते कि वे हेपेटाइटिस बी से संक्रमित हैं। हेपेटाइटिस बी और सी दोनों ही लीवर प्रत्यारोपण और लीवर कैंसर के प्रमुख कारण हैं। हेपेटाइटिस बी एक हल्की बीमारी से लेकर कुछ हफ्तों तक चलने वाली गंभीर, आजीवन तक हो सकती है। संक्रमित होने वाले 90% से अधिक शिशु प्रतिरक्षित न होने के कारण इस संक्रमण के साथ रहते हैं। लंबे समय से संक्रमित लोगों में से 15% -25% लोगों में पुरानी यकृत की बीमारी विकसित होती है, जिसमें सिरोसिस, यकृत की विफलता या यकृत कैंसर शामिल है।

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के सलाहकार डॉ मयंक गुप्ता ने बताया, “दुनिया भर में 35 करोड़ से अधिक लोग अभी भी इस जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं। जबकि पुराने हेपेटाइटिस बी और सी के निदान और रोकथाम के लिए साक्ष्य आधारित प्रभावी और सुरक्षित तरीके हैं, अधिकांश लोग बिना निदान और परिक्षण के रह रहे हैं। केवल 10% और 21% लोग जानते हैं कि वे क्रमशः क्रोनिक हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी से ग्रसित हैं और इनमे से बहुत कम ही इसका उपचार करवा पाते हैं। इसीलिए हेपेटाइटिस से संबंधित यकृत कैंसर विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा, तीव्र हेपेटाइटिस ए और ई पूरी दुनिया में लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं।”

कैसे फैलता है हेपेटाइटिस बी वायरस ……..

संक्रमित मां से जन्मे शिशु को।

संक्रमित व्यक्ति के साथ सहवास करने से।

संक्रमित व्यक्ति के रक्त से दूषित उपकरण जैसे सुई, सीरिंज और यहां तक कि चिकित्सा उपकरण जैसे ग्लूकोज मॉनिटर को साझा करने से।

व्यक्तिगत सामान जैसे टूथब्रश या रेज़र साझा करना ।

खराब संक्रमण नियंत्रण और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की कमी के परिणामस्वरूप यह अधिक फैलता है।

गंभीर स्थिति के लिए हेपेटाइटिस की कोई दवा उपलब्ध नहीं है।

इसका निदान सहायक देखभाल के माध्यम से ही होता है।

यकृत की पुरानी बीमारी की नियमित निगरानी और कुछ रोगियों का इलाज एंटीवायरल दवाओं से भी किया जाता है।

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