विधायिका के पीठासीन अधिकारी की होती है विशेष दायित्व, पीएम ने किया सम्मलेन का उद्घाटन

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में संसद और राज्यों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों के तीन-दिवसीय शताब्दी सम्मेलन का आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन किया। 82वें पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा की गई। शिमला में आयोजित इस सम्मेलन में उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी सम्मेलन में प्रतिभाग किया।सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हमें देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है। कोरोना की लड़ाई में सभी राज्यों ने एकजुटता के साथ काम किया जोकि ऐतिहासिक है।

भारत 110 करोड़ वैक्सीन डोज का आंकड़ा पार कर चुका है। यह समय अपनी सफलताओं को आगे बढ़ाने का है और साथ ही नए विजन के साथ नए नियम और नीतियां भी बनानी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे सदन की परंपराएं और व्यवस्थाएं स्वभाव से भारतीय हों। हमारी नीतियां, कानून भारतीयता के भाव को, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को मजबूत करने वाले हों। सबसे महत्वपूर्ण, सदन में हमारा खुद का भी आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो। पीएम मोदी ने कहा कि ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है। भारत विविधताओं से भरा है।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानमंडलों के समक्ष ज्वलंत विषयों पर चर्चा और संवाद के माध्यम से देश के सामने सर्वमान्य समाधान प्रस्तुत करने का दायित्व है जिससे लोकतांत्रिक परंपराओं और समृद्ध हो सके।लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि बदलते परिपेक्ष में हमने अपनी विधायी संस्थाओं में जनता की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप नियमों और प्रक्रियाओं में भी परिवर्तन किया है।उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि प्रगतिशील कानून बनाने में जनप्रतिनिधियों के साथ जनता की सक्रिय भागीदारी बने ताकि आम जनता की आर्थिक सामाजिक जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सके।

उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधायिका के पीठासीन अधिकारी के रूप में हमारा विशेष दायित्व है कि हम एक समर्थ सक्षम और सशक्त विधायिका के निर्माण का सामूहिक संकल्प लें जो 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप होने के साथ-साथ नई चुनौतियों का सामना करने में भी सफल हो। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि दो दिवसीय सत्र के दौरान शताब्दी यात्रा समीक्षा और भविष्य के लिए कार्य योजना एवं पीठासीन अधिकारियों का संविधान, सदन और जनता के प्रति दायित्व विषय पर चर्चा की जाएगी।

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