क्या आप जानते है चंद्रमा पर 700 किलोमीटर गहरा आता है कंप, जिसका घंटो तक रहता है चंद्रमा पर असर

भारत देश ही नही बल्कि दुनिया के सभी देशों में भूकंप के झटके महसूस होते है। किसी देश मे कम मैग्नीट्यूड का तो किसी देश मे अधिक मैग्नीट्यूड का भूकंप आता है। और ये बात अमूमन सभी लोगो ने किताबो में पढ़ा होगा या फिर सुना होगा कि भूकंप क्या होता है और कैसे आता है। लेकिन ये बात बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि पृथ्वी पर ही नही बल्कि धरती की तरह ही पृथ्वी ग्रह के उपग्रह चंद्रमा पर भी आता है चंद्रकम्प। आखिर क्या है चंद्रमा और चंद्रमा पर चंद्रकंप आने का रहस्य?

भूकंप यानी धरती पर कंप जिस तरह पृथ्वी पर कंप आता है, तो उसे भूकंप कहते हैं। उसी तरह चंद्रमा पर भी कंप आता है जिसे चंद्रकंप कहते हैं। हालांकि चंद्रमा पर चंद्र कंप क्यों आते हैं इसको लेकर सभी जहन में कई तरह के सवाल खड़े होते हैं। क्योंकि चंद्रमा पर एक्टोनिक्स- टेक्टोनिकस प्लेट तो है नही और नही चंद्रमा पर वायुमंडल है। तो ऐसे में चंद्रमा पर तनाव आने का क्या कारण है। और क्या वहां ग्रेविटी है या फिर मैग्नेटिक फील्ड है जिस तरह पृथ्वी पर है। 

चंद्रमा पर 194 डिग्री सेल्सियस तक होता है तापमान…….

वरिष्ठ भूकंप वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार के अनुसार चंद्रमा का तापमान बहुत ज्यादा होता है और वहां का तापमान 194 डिग्री सेल्सियस तक होता है यही नहीं चन्द्रमा पर वायुमंडल न होने की वजह से रात के समय वहा का तापमान -137 डिग्री सेल्सियस तक तापमान चला जाता है। जिससे चंद्रमा के सतह की जो पपड़ी होती है वह सिकुड़ती और फैलती है। जिस वजह से चन्द्रमा पर सैलो चंद्रक्विक आते है। यही नही चंद्रमा की सतह पर जो दरारें है उसके सिकुड़ने और फैलने से भी चंद्रकम्प पैदा होता है। 

चंद्रमा पर 700 किलोमीटर गहरा चंद्रकम्प आता है …….

यह नहीं यह सभी जानते हैं की चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है और पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है लेकिन जब पृथ्वी चंद्रमा को अपनी ओर खींचता है तो ऐसे में चंद्रमा की सतह से करीब 700 किलोमीटर गहरे भूकंप आते हैं। और यह एक अहम कारण है कि चंद्रमा पर चंदकंप आते है। यही नही चंद्रमा पर जो चंद्रकम्प होता है वो सेकंडों में खत्म नही होता बल्कि घंटो तक रहती है जिसकी वजह यह है कि चंद्रमा पर घर्षण नही होता है। और जो एनर्जी एक बार चंद्रकम्प से निकल जाती है। उसका असर करीब 70 से 80 मिनट तक रहता है। 

सबसे बड़ा चंद्रकम्प 5.5 मैग्नीट्यूड तक किया गया है रिकॉर्ड….

साथ ही वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार ने बताया कि नासा ने चंद्रमा के मिडिल साथ पर 6 बार वैज्ञानिकों को भेजा था और वहां पर 6 सिस्मोग्राफ का सेटअप भी लगाया था। जिससे पता चला कि चंद्रमा पर सबसे बड़ा चंद्रकम्प 5.5 मैग्नीट्यूड तक का रिकॉर्ड किया है। इसके साथ ही चंद्रमा पर ग्रेविटी धरती की अपेक्षा बहुत कम है। पृथ्वी पर ग्रेविटी 9.8 मीटर प्रति सेकंड है तो वही चंद्रमा पर 1.65 मीटर प्रति सेकंड है। यानी अगर 100 किलोग्राम का व्यक्ति चंद्रमा पर जाता है तो वहां वजन तौलने पर उस व्यक्ति का वजन 16.5 किलोग्राम आयेगा। 

पृथ्वी, चंद्रमा पर ही नही अन्य ग्रहों पर भी होता है कंप…..

यही नहीं यूरेनस, नेप्चून, प्लूटो सहित अन्य ग्रहों पर भी इस तरह की एनर्जी रिलीज होती है। हालांकि या एक ऑब्जरवेशन है क्योंकि अभी तक उन ग्रहों पर कोई पहुंचा नहीं है, लेकिन इस तरह के कंपन दूसरे पर भी होते हैं।

चंद्रमा के पहाड़ो का नही होता है कटाव…..

वही वैज्ञानिक ने बताया कि चंद्रमा पर वायुमंडल ना होने की वजह से वहां के पहाड़ बहुत बड़े-बड़े हैं। हालांकि पृथ्वी पर वायुमंडल है जिस वजह है कि यहां के पहाड़ो का कटाव हो जाता है।लेकिन चंद्रमा पर वायुमंडल ना होने की वजह से चंद्रमा के पहाड़ो का कटाव नही हो पाता है। इसके साथ ही बताया कि चंद्रमा पर कोई स्ट्रक्चर तो है नहीं इस वजह से वहां पर किसी भी चीज का नुकसान नहीं होता है।

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